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________________ षष्ठ परिच्छेद भरण-पोषण ( गुज़ारा) निम्नाङ्कित मनुष्य भरण-पोषण पाने के अधिकारी हैं १-जीवित तथा मृतक बालक ( १ ), अर्थात् जीवित बालक और मृतक पुत्रों की सन्तान तथा विधवाएँ, यदि कोई हो । २-वह मनुष्य जो भागाधिकार पाने के अयोग्य हो (२)। ३-सबसे बड़े पुत्र के सम्पत्ति पाने की अवस्था में अन्य परिवार (३)। ४-अविवाहिता पुत्रियाँ और बहिनें ( ४ )। ५-विभाग होने के पश्चात् उत्पन्न हुए भाई जब कि पिता की सम्पत्ति पर्याप्त न हो (५)। परन्तु ऐसी दशा में केवल विवाह करा देने तक का भार बड़े भाइयों पर होता है। विवाह में स्वभावतः कुमार अवस्था का विद्याध्ययन और भरण पोषण भी शामिल समझना चाहिए। ६-विधवा बहुएँ उस अवस्था में जब वह सदाचारिणी और शीलवती हो (६)। ( १ ) अहं ० है। ( २ ) ,, ६ भद्र० ७०; इन्द्र० १३-१४, ४३; वर्ध० ५३ । ( ३ ) ,, २४; , १०० । ( ४ ) भद्र० १६; इन्द्र० २६; वर्ध । ( ५ ) ,, १०६ । ( ६ ) अह ० ७७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001856
Book TitleJain Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampat Rai Jain
PublisherDigambar Jain Parishad
Publication Year1928
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Ethics
File Size9 MB
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