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________________ जन-ला प्रोफेसर टी० डब्ल्यु० रहिस डेविड्स ( Prof. T. W. Bhys Davids ) अपनी पुस्तक "बुद्धिस्ट इन्डिया ” ( Buddhist India ) में पृष्ठ १४३ पर लिखते हैं - "भारत इतिहास में बौद्ध धर्मोत्थान से पहिले से अब तक जैन जनता एक सङ्गठित समाज रूप में रहती आई है ।" एलफिंस्टन के मतानुसार जैनियों की उत्पत्ति ईसा की छठी शताब्दो में हुई है, किन्तु रहिस डेविड्स ने दिखला दिया है कि जैन शास्त्र ईसा से चौथी शताब्दी पहले लिखे जा चुके थे । बुद्धिस्ट इंडिया पुस्तक में पृष्ठ १६४ पर वह लिखते हैं "यह शास्त्र वह हैं जो ईसा से चौथी शताब्दी पहले बन चुके थे जब कि भद्रबाहु समाज के गुरु थे ।" एलफिंस्टन ने तो इतना ही कहा था कि "मालूम पड़ता है, कि जैनियों की उत्पत्ति... . इत्यादि" किन्तु डाक्टर गौड़ निश्चय के साथ कहते हैं कि जैन धर्म केवल बौद्ध धर्म का बच्चा है, "वास्तव में वह बौद्ध और हिन्दू धर्मों का समझौता है" । डाक्टर गौड़ ने किस आधार पर एक पुराने युरोपीय विचारवाले लेखक की सम्मति को, जो उसने संकुचित और विशेषणात्मक शब्दों में प्रकट की थी, बदलकर निश्चय वाक्य रूप में ३३१ वें पैराग्राफ में हिन्दू कोड में लिख डाला, यह उन्हीं को मालूम होगा । किन्तु क्या वह कह सकते हैं कि वह उन बातों से अनभिज्ञ हैं जो १८८१ के पीछे पक्षपात रहित विद्वानों ने खोज करके सिद्ध की हैं ? थोड़ा समय हुआ डाकूर टी० के० ० लड्ड ू ने, जो एक हिन्दू विद्वान हुए हैं, कहा था- " वर्द्धमान महावीर के पहले के किसी प्रामाणिक इतिहास का हमको पता नहीं लगता है, किन्तु इतना तो निश्चित और सिद्ध है कि जैन धर्म बौद्ध धर्म से पुराना है, और महावीर के समय से पहले पार्श्वनाथ वा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001856
Book TitleJain Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampat Rai Jain
PublisherDigambar Jain Parishad
Publication Year1928
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Ethics
File Size9 MB
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