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________________ गमिअ-गमित, गत गय - गत १. ६. १० गय-गज १. २२. ९ गयकाल - गतकाल ३. ६. ११ गयण - गगन १. ७. ७ गयणयल - गगनतल गयणयल वडिअ - गगनतलपतित २. २३.१० गयणंगण-गगनाङ्गण २.३२. ६ गयदप - गतदर्प ४. २४. २ गयमंदगमण - गजमन्दगमन ४. १८. ६ गयवर - गजवर १.४. ३ गयसुंडय - गजशुण्ड (क) ४. १६. १२ गरल- गरल ३. ३९. १२ गरलुल्ल - गरल + उल्ल (स्वार्थे) ३. ९. १५ गरह - गर्ह, (धातुः ) २. ७.३ गरुड - २. ३६.१० गरुय - गुरु (क) २.१.५ गरुयपवास - गुरुप्रवास (दीर्घ प्रवास ) गरुण - गर्हण ३. ३९. २ गल-गल १. ६.६ गल - ( धातुः ) १. २८. २ गलकंदल - गलकन्दल १. १७. २१ गलच्छिय - पीडित प्रेरित इत्यर्थे देशी; (कदर्थत ? ) ३. १.६ गलणालि - गल + नालि ३.६. १ गलय - गल ( क ) ( कण्ठ ) १. १५.८ गलिअ - गलित २. ३. १ गलिय - गलित (क) ४. १०.४ गव्व-गर्व शब्दकोश: गस प्रस् (धातुः) २. ३७. २ गसिअ - ग्रसित २ २०.७ गसिर ग्रसनशील २. १८. १० गह- ग्रह (धातुः ) १. ६. ५ गह-ग्रह (ग्रहण, निरोध ) १.२३.५ गहचक्का - ग्रहचक्रा (प्रासादभूमिनामविशेषः ) २.४.८ गवई - गृहपति १. ३.१२ गहण - गहन १. १४. ३ गहण - ग्रहण १. २७. २७; ३. २८. १० ग्रहणुल्लअ-ग्रहण + उल्लअ ( स्वार्थे) ३. २८. १० गहिअ - गृहीत १. २४. ३ २४ Jain Education International गहिर - गभीर १.५.६ गहीर - गभीर १. १८. १३ गंगासर - गङ्गा + सरित् २.३०. ८ गंजोल्लिय - क्षुब्ध इत्यर्थे देशी ( मराठी-गांजलेले ) ३. ३६.५ १८५ गंड - गण्ड ( कपोलदेश : ) १.३.९ गंडय - गण्ड (जलमहिष, मराठी - गेंडा ) १. १०.३ गंथ - ग्रन्थ ४. १७. २२ गंध - गन्ध १. २. १० गंधगिरि - ( पर्वतविशेषनाम ) ४.२३. १० गंधजुत्त - गन्धयुक्त ४ २३. १० गंधवंत - गन्धवत् ४. १२. ४ गंधव्व - गन्धर्व (कविनाम ) १. २७. २३ गंधव्वलच्छी- गन्धर्वलक्ष्मी ४. २४. ७ गंधव सरी - गन्धर्वश्री (स्त्रीविशेषनाम) ४.२३.२० गंधव्वसेन - गन्धर्वसेन ( नाम विशेष : ) ४ २३. १८ गंध विसय - गन्धविषय ( त्वगिन्द्रिय ) ( गन्धो विषयो यस्येन्द्रियस्येति टिप्पणम् ) गंधहरिण - गन्धहरिण (कस्तूरिकामृग ) ४. २३. ११ गंभीर - गम्भीर १. १७. १८ गाइ-गी ३.३०, ३ गाइज्जत - गीयमान २.३.७ गाढ - गाढ २. ८.१ गाम - ग्राम १. ३. १५ गामंतर - प्रामान्तर ४. ११.४ गाय - ( धातुः ) १.५. १७ गायण - गायन १. २७.२ गारव - गौरव ३. १७. ७ गास- ग्रास २. ७. १३ गाह - गाह, (धातुः ) गाय - ग्राह १. १०.७ गाह -ग्राह ( स्नेहार्थे ) ४.२.६. गाहंत - गाहमान ४. २६. ३ गिण्ह - ग्रह (धातुः ) ४.१५.११ गिज्ज-गंधातोः कर्मणि १. १६. १०३. ११.४ गिज्ज- य १.५१७ गिज्झ - ग्राह्य ४ ८. ८ गिम्ह - २. २८. ११ गिरा-गिर, ३. ३०.९ गिरि - गिरि १. १७. ६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001841
Book TitleJasahar Chariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorParshuram Lakshman Vaidya, Hiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages320
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size22 MB
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