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, प्रस्तावना
[ १५ पूज्यपाद युवक जागृति प्रेरक गुरुदेव के द्वारा लिखा हुआ खवगसेढी ग्रन्थ अपने आप में अनूठा है । अनादिसंसार में परिभ्रमण करती हुई आत्मा किस प्रकार से परमपद मोक्ष को प्राप्त करती है वह सारी प्रक्रिया इस ग्रन्थ में विस्तृत रुप से समझाई गई है। उसमें गणितानुयोग तो इतना गंभीर हैं कि अच्छे अच्छे विद्वान् भी दिङ्मुख हो जाते है । वह ग्रन्थ अमेरिका, जर्मनी आदि विदेशों में भी पहुचा । जर्मनी युनिवर्सीटि के प्रोफेसर क्लाउज वन ने निम्न प्रतिक्रिया व्यक्त कि
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२१-१०-६८ न्य रायमानि महाराज
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