SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पृष्ठाङ्क ४१५ ४१५-४४१ अष्टम उद्देशक सूत्र संख्या विषय गाथाङ्क सप्तम एवं अएम उद्देशक का सम्बन्ध २३४१ १-११ स्त्रो के साथ विहार, स्वाध्याप ग्रादि करनेका निषेध २३४२-२४६६ प्रागंतागार, पारामागार आदि स्थानों में अकेली स्त्री के साथ विहार, स्वाध्याय, आहार, उच्चार-प्रश्रवण एवं कथा करने का निषेध २३४२.२४९५ २-१० उद्यान, उद्यानगृह, उद्यानशाला ग्रादि में अकेली स्त्री के साथ स्वाध्याय यावत् कथा करने का निषेध २४२६--२४३५ स्वगच्छ अथता परगच्छ की साध्वी के साथ विहारादि करने का निषेध २४३६-२४६६ १२-१३ स्वजन अथवा परजन के साथ उपाश्रय में रात्रि के समय शयन करने का प्रथवा बाहर ग्राने-जाने का निषेत्र २४६७-२४७७ - १४-१८ राजा के यहां से ग्राहारादि ग्रहण करने का निषेध २४७८ २४६५ ४१५ ४३१ ४३१-४३५ ४३५.४४१ ४४१-४४३ ४४३-४४७ नवम उद्देशक २४६६ २४६७-२५१२ २५१३-२५२५ ४४६ ४४४-४५१ ४५२-४५४ अटम एवं नवम उईगक का सम्बन्ध १.२ राजपिण्ड के ग्रहण एवं उपभोग का निषेध ३-५ राजा के अन्तःपुर में प्रविष्ट होने का निषेध राजा के यहां बने हुए भोजन में से द्वारपाल इत्यादि के भाग को ग्रहण करने का निपेध ७-२८ राज्याभिषिक्त राजा को देखने प्रादि का निषेध २५२६-२५३२ २५३३.२६०५ ४५४-४५५ ४५५-४७० अशुद्धि-शोधनप्रस्तुत भाग के पृष्ठ ३६१ पर सूत्र दशवाँ मुद्रण में छूट गया है, वह इस प्रकार है :जे भिक्ख सचित्त-रुक्ख-मूलंसि ठिच्चा सज्झायं १डिच्छह, पडिच्छंतं वा सातिजति ।। मू० १० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001829
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_sanstarak
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy