________________
सूत्र संख्या
१-१०
११
विषय
चतुर्थ और पंचम उद्दे शक का सम्बन्ध सचित्तं वृक्ष के मूलपर खड़े होकर स्वाध्याय आदि करने का निषेध
आलोचना,
अपनी संघाटी अन्यतीर्थिक आदि से सिलवाने का निषेध
[१२] पंचम उह शक
१९
संघाटी के दीर्घसूत्र करने का निषेध
१३-१४ लिम्ब, पलाश इत्यादि के पत्तों पर रख कर आहार करने का निषेध
६३
१५ - २३ प्रातिहार्य - लौटाने योग्य पाद- प्रोञ्छन इत्यादि निश्चित अवधि से अधिक समय तक रखने का निषेध
२४
सन, ऊन, कपास आदि का दीर्घ सूत्र बनाने का निषेध २५- ३३ सचित्त, चित्र एवं विचित्र दारु-दण्ड इत्यादि के निर्माण, ग्रहण एवं परिभोग का निषेध
३४-३५ नवस्थापित निवेश, ग्राम, सन्निवेश आदि में प्रवेश कर आहारादि ग्रहण करने का निषेध
३६-५६ मुख, दंत, प्रोष्ठ, नासिका इत्यादि को वीणा के समान बनाने एवं बजाने का निषेध ६०-६२ औ शिक, सप्राभृतिक एवं सपरिकर्म शय्या के परिभोग का निषेध
संभोगी के साथ संभोग का निषेध – संभोगी एवं संभोगी की सोदाहरण विस्तृत व्याख्या
६४-६६ रखने योग्य अलाबु पात्र, दारु-पात्र, मृत्तिका पात्र, वस्त्र, कम्बल, दण्ड आदि को तोड़-फोड़ कर फेंक देने का निषेध
प्रमाणातिरिक्त रजोहरण रखने का निषेध
सूक्ष्म रजोहरण - शीर्षक बनाने का निषेध रजोहरण को अविधि से बाँधने का निषेध
६७
६८
६६ - ७२
१३-७७ रजोहरण को प्रविधि से रखने का निषेध, तत्सम्बन्धी
प्रायश्चित्त एवं अपवाद
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
१८६५
गाथाक
१८६६-१६२०
१६२१-१६२६
१६३०-१९३४
१९३५-१६४३
१६४४-१६६४
१६६५-१६६५
१६६६-२००३
२००४-२०१२
२०१३-२०१६
२०१७-२०६८
२०६६-२१५८
२१५६-२१६४
२१६५-२१७२
२१७३-२०७४
२१७५-२१८०
पृष्ठाङ्क
३०७
३०७-३१२
३१२-३१३
३१४
३१४-३१६
३१६-३२०
३२०-३२६
३२६-३२८
३२८-३३०
३३०-३३१
३३१-३४१
२४१-३६३
३६३-३६५
३६५-३६६
३६६-३६७
३६७-३६८
२१८१-२१६४ ३६८-३७०
www.jainelibrary.org