________________
विषय
आगंतागार आदि में सन्मुख लाकर दिये जाने वाले श्राहारके ग्रहरण का निषेध श्रादि
गृहपति के मना करने पर ब्राहारादि के निमित्त प्रवेश करने का निषेध
१४
भोज के स्थान पर जाकर श्राहारादि ग्रहण करने का निषेध त्रिगृहान्तर से लाकर दिये जाने वाले आहार के ग्रहण का निषेध
१५
१६- २१
पाद का प्रमार्जन आदि
१६
पाद के ग्रामज्जन प्रमार्जन का निषेध
१७
पाद के परिमदन का निषेध
१८
१६
पाद के अभ्यंग का निषेध पाद के उबटन का निषेध पाद के प्रक्षालन का निषेध
२०
२१
पाद को रंगने का निषेध
२२- २७ काय का प्रमार्जन आदि २८-३३ काय के व्रण का प्रमार्जन आदि ३४-३६ गांठ-बड़े यादि का उपचार
४०
गुदा आदि की कृमियों को अंगुली से निकालने का निषेध ४१-४६ लम्बे बढ़े हुए नख, बाल आदि का छेदन करने का निषेध ४७-६६ दांत, श्रोष्ठ आदि के प्रमार्जन, परिमर्दन श्रादि का निषेध १५१४-१५२०
६७-६८ काय को विशुद्ध करने का निषेध
१५२१-१५२३
६६
सूत्र संख्या
६-१२
१३
1 १० 1
ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए वस्त्रादि से सिर ढकने का निषेध
७०
वशीकरण-सूत्र ( ताबीज ) बनाने का निषेध ७१-८० घर में, घर के द्वार पर, घर के प्रांगन में, श्मशान में, कीचड़ आदि के स्थान में उच्चार प्रश्रवण (टट्टीपेशाब) डालने का निषेध, तत्सम्बन्धी प्रायश्चित्त, अपवाद आदि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
गाथाङ्क
१४५८-१४६४
१४६५-१४७०
१४७१-१४८२
१४५३ - १४६०
१४६१-१४६६
१४६१-१४६४
१४६५ - १४६६
१५००
१५०१-१५०४
१५०५ - ५५०६
१५१०-१५१३
१५२४-१५२८
१५२६-१५३२
१५३३ - १५५४
पृष्ठाङ्क
२०३-२०५
२०५ - २०६
२०६ २०६
२०६-२१०
२१०-२१३
२१०-२११
२११
19
"
२११-२१२
२१२-२१३
२१३
२१३-२१५
२१५-२१७
२१७ २१७-२१८
२१८-२२१
२२१-२२२
२२२-२२३
२२३-२२४
२२४-२२६
www.jainelibrary.org