SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ छठा परिच्छेद लिया। राजा ने आज्ञा दी कि :- “कर के बदले में सब नौकायें जब्त कर ली जाँय और इस बनिये को एक पेड़ में हाथ पैर बाँध कर उलटा टाँग दिया जाय।” तुरन्त ही यह आज्ञा कार्य-रूप में परिणत की गयी। पहरे का समुचित प्रबन्ध कर राजा अपने निवास स्थान को लौट गया। श्रीपाल अब तक अपनी नौका में बैठे हुए सारा तमाशा देख रहे थे। जब उन्होंने धवल की यह दुर्गति देखी, तब वे नौका से उतर कर उसके पास आये। उन्होंने पूछा:-“यह क्या? आपके सब वीर सैनिक कहाँ चले गये? यदि आपने मुझे करोड़ रुपये दिये होते तो आज आपकी यह दुर्गति कदापि न होती।" __श्रीपाल की यह बातें सुन धवल सेठ लज्जित हो गया। उसने कहा :-“अब इस समय मुझे विशेष लज्जित न कीजिये। यदि किसी तरह मुझे मुक्त कर सकें तो चेष्टा कीजिये। बड़ी कृपा होगी। मैं आपका यह उपकार कभी न भूलूँगा।” श्रीपाल ने कहा :-“मैं आपको छुड़ा सकता हूँ ; आपकी सब नौकायें भी वापस दिला सकता हूँ, किन्तु पहले यह बतलाइये, कि मुझे इसके बदले क्या मिलेगा?" - धवल सेठ ने कहा:- “यदि आप मुझे छुड़ा दें और मेरी समस्त सम्पत्ति वापस दिला दें तो आपको अपनी नौकायें और उन पर लदा हुआ माल आधा बाँट दूंगा।" श्रीपाल कुमार ने यह स्वीकार कर लिये। अब वे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001827
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherJain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta
Publication Year2003
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy