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________________ (vi) गणधर गौतम स्वामी ने मगध सम्राट श्रेणिक बिम्बसार को सुनाते हुए श्री सिद्धचक्र की आराधना का महत्व बताया था। किस प्रकार श्रीपाल कुमार पर पूर्व जन्म में किये अशुभ बन्धनों के परिणाम स्वरूप इस जन्म में अनेक घोर प्राणान्तक कष्ट आये लेकिन श्री सिद्ध चक्र नवपद की आराधना द्वारा जो पुण्य अर्जित किया उसी के फलस्वरूप उन्हें इन कष्टों से छुटकारा मिला और अपार सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति हुई। पूर्व कृत अशुभ कर्मों के बन्धन के कारण अपरिचित कुष्ट रोगी के साथ परिणय सूत्र में बाँध दी जाने वाली राजकुमारी मयणा सुन्दरी ने गुरु कृपा से श्री सिद्ध चक्र नवपद आराधना द्वारा अपने पर आये सभी उपसर्गों को दूर कर अटूट ऐश्वर्य की प्राप्ति के साथ-साथ आत्म-शुद्धि कर सम्यक्त्व प्राप्त किया। श्री सिद्धचक्र की आराधना के महत्व को समझने के लिये श्रीपाल चरित्र अत्यन्त उपयोगी एवं प्रेरणा देने वाला कथानक है। श्री जैन श्वेताम्बर मन्दिर ट्रस्ट ने इस उपयोगी ग्रन्थ को पुनः प्रकाशित कर श्रुत- ज्ञान के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। श्री विनोद चन्दजी बोथरा की प्रेरणा व सहयोग इस ग्रन्थ के प्रकाशन के कार्य को सम्पन्न करने में सहायक बना। इस चरित्र को पढ़कर यदि जिन धर्म और जिन आदर्शों के प्रति किंचित मात्र भी सम्मान या श्रद्धा साधारण मानस में उपजती है तो मैं समझती हूँ कि जिन शासन और जिनवाणी के महत्व को प्रतिबिम्बित करता हुआ यह प्रकाशन और प्रकाशित तथ्य दोनों अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकेंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only लता बोथरा www.jainelibrary.org
SR No.001827
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherJain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta
Publication Year2003
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size15 MB
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