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सारा खेल काम-वासना का
दिया, वह जो हंसते रहते थे बन-बनकर । अब उतना भी होश रखना मुश्किल है कि बनकर हंस सकें । अब बनावट नहीं टिकेगी। हंसी खो जायेगी । और वह जो हंसी के नीचे छिपा रखा था, अम्बार लगा रखा था उदासी का, दुख का, आंसुओं का, वह बाहर आने लगेंगे।
इसलिए गुरजिएफ के पास जब भी कोई जाता था, पन्द्रह दिन तो वह धुआंधार शराब पिलाता था। सिर्फ उसकी डाइग्नोसिस, उसके निदान के लिए। पन्द्रह दिन वह उसे शराब पिलाता जाता था, जब तक कि उसे बेहोश न कर दे इतना कि जो उसने ऊपर-ऊपर से थोपा है वह टूट जाये । और जो भीतर-भीतर है वह बाहर आने लगे। तब वह उसका निरीक्षण करता।
गुरजिएफ ने कहा है कि जब तक कोई साधक मेरे पास आकर पन्द्रह दिन जितनी शराब मैं कहूं, उतना पीने को राजी न हो, तब तक मैं साधना शुरू नहीं करता। क्योंकि मुझे असली आदमी का पता ही नहीं चलता कि असली आदमी है कौन । जो वह बताता है, मैं हूं, वह, वह है नहीं । उस पर मैं मेहनत करूं, वह बेकार जायेगी, वह पानी पर खींची गयी लकीरें सिद्ध होंगी। और जो वह है, उसका उसको भी पता नहीं, उसको वह दबा चुका है जन्मों-जन्मों। उसका उसे भी पता नहीं कि वह कौन है।
इधर मुझे भी निरन्तर यह अनुभव आता है, एक आदमी आकर मुझे कहता है कि यह मेरी तकलीफ है । वह उसकी तकलीफ ही नहीं है। वह कहता है, यह मेरा रोग है, वह उसका रोग ही नहीं है। वह समझता है कि वह उसका रोग है। यह रोग उसकी पर्त का रोग है, और पर्त वह है नहीं। पर्त उसने बना ली है।
एक आदमी आता है और कहे कि मेरी कमीज पर यह दाग लगा है. यह मेरी आत्मा का दाग है। अब इसको मैं धोने में लग जाऊं. यह धुल भी जाये तो भी आत्मा नहीं धुलेगी क्योंकि यह दाग कमीज पर था, आत्मा पर नहीं । यह न भी धुले, तो भी आत्मा पर नहीं है। इस आदमी को मझे नग्न करके देखना पडेगा कि इसकी आत्मा पर दाग कहां है । उसको धोने में ही कोई सार है में समय गंवाना व्यर्थ है।
गुरजिएफ पन्द्रह दिन शराब पिलाता, पूरी तरह बेहोश कर देता, डुबा देता बुरी तरह । और जिसने कभी नहीं पी है, वह बिलकुल मतवाला हो जाता, बिलकुल पागल हो जाता। तब वह अध्ययन करता उस आदमी का, कि यह आदमी असलियत में क्या है।
फ्रायड जिन लोगों का अध्ययन करता, वह उनसे कहता कि अपने सपने बताओ, और बातें नहीं चाहिए। अपने सिद्धान्त मत बताओ। अपनी फिलासफी अपने पास रखो, सिर्फ अपने सपने बताओ । जब पहली दफे फ्रायड ने सपनों पर खोज शुरू की, तो उसने
अनुभव किया कि सपने में असली आदमी प्रगट होता है। ऊपरी चेहरे झूठे हैं। ___ एक आदमी को देखें, अपने बाप के पैर छू रहा है, और सपने में बाप की हत्या कर रहा है। आप आमतौर से यह सोचेंगे कि सपना तो सपना है, असली तो वही है, वह जो सुबह हम रोज पैर छूते हैं । वह असली नहीं है, ध्यान रख लें। सपना आपकी असलियत से ज्यादा असली हो गया है, क्योंकि आप बिलकुल झूठे हैं । वह जो सुबह आप पैर छूते हैं पिता का, वह सिर्फ सपने में जो असली काम किया, उसका पश्चाताप है। सपना असली है। क्यों? सपने में धोखा देने में अभी आप कुशल नहीं हो पाये । सपना गहरा है, बेहोश है। आप का जो होश है, उस वक्त आप आदर दिखा रहे हैं। आपका जो होश है उस वक्त पत्नी कह रही है पति से कि तुम मेरे परमात्मा हो, और सपने में उसे दूसरा पति और दूसरा परमात्मा दिखायी पड़ रहा है। वह कहती है, यह तो सब सपना है।
बाकी यह सपना ज्यादा गहरा है। क्योंकि सपने में न सिद्धांत काम आते हैं, न समाज काम आता है, न सिखावन काम आती है। सपने में तो वह जो असली मन है, अचेतन, वह प्रगट होता है। इसलिए फ्रायड ने कहा कि अगर असली आदमी को जानना है तो सपनों का अध्ययन जरूरी है। बात एक ही है।
गरजिएफ ने कहा है कि शराब पिलाकर उघाड लेंगे, अन्कान्शस, अचेतन को। उसने कहा कि हम आपका सपना...: गुरजिएफ का
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