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________________ महावीर वाणी भाग 2 लेकिन हम तो ऐसे हैं कि हम कहते हैं, मेरी आत्मा । मेरी आत्मा जैसी कोई चीज नहीं होती । जहां तक मेरा होता है, वहां तक आत्मा कोई अनुभव नहीं होता । इसलिए बुद्ध ने तो कह दिया कि आत्मा शब्द ही छोड़ दो, क्योंकि इससे मेरे का भाव पैदा होता है, यह शब्द ही मत उपयोग करो, क्योंकि इससे लगता है मेरा, आत्मा का मतलब ही होता है मेरा। यह छोड़ ही दो। तो बुद्ध ने कहा, यह शब्द ही छोड़ दो, ताकि यह मेरा पूरी तरह टूट जाये । कहीं मेरा न बचे, तब भी आप बचते हैं। जब सब मेरा छूट जाता है तब जो बचता है, वही है आपका अस्तित्व, वही है आपकी चेतना, वही है आपकी आत्मा । वह जो शून्य निराकार, होना, बच रहता है, वही है आपकी मुक्ति, वही है आनंद । आज इतना ही । रुकें पांच मिनट, कीर्तन करें। Jain Education International 56 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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