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महावीर-वाणी भाग : 2
हैं। लेकिन जब तक वह कठिन न हो जाये, तब तक सब किया हआ व्यर्थ है। उससे कोई मोक्ष की तरफ नहीं जाता और नये जन्मों के बंधनों की तरफ उतर जाता है।
पांच मिनट कीर्तन करें: फिर जायें।
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