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________________ महावीर वाणी भाग 2 है आपके भीतर। आपको भी पता नहीं चलता क्या होता है, और एक स्त्री अप्सरा हो जाती है। उस स्त्री का सब कुछ बदल जाता है, मेटामार्फोसिस हो जाती है। उस स्त्री में आपको वह सब दिखायी पड़ने लगता है, जो आपको कभी दिखायी नहीं पड़ा था। सारा संसार उस स्त्री के आसपास, इर्द-गिर्द इकट्ठा हो जाता है। सारे सपने उस स्त्री में पूरे होते मालूम होने लगते हैं। सारे कवियों की कविताएं एकदम फीकी पड़ जाती हैं, वह स्त्री काव्य हो जाती है। क्या हो जाता है? बायोलाजिस्ट कहते हैं कि आपके शरीर में भी सम्मोहित करने के केमिकल्स हैं। कोई आदमी ऊपर से एल. एस. डी. लेता है, एल. एस. डी. लेने से ही; जब हक्सले ने एल. एस. डी. लिया तो जिस कुर्सी के सामने बैठा था, वह कुर्सी एकदम इंद्रधनुषी रंगों से भर गयी। लिया एल. एस. डी., भीतर एक केमिकल डाला, उससे सारी आंखें आच्छादित हो गयीं। कुर्सी - साधारण कुर्सी, जिसको उसने कभी ध्यान ही नहीं दिया था, जो उसके घर में सदा से थी, वह उसके सामने रखी थी - उस कुर्सी में से रंग-बिरंगी किरणें निकलने लगीं। वह कुर्सी एक इंद्रधनुष बन गयी । हक्सले ने लिखा है, कि उस कुर्सी से सुंदर कोई चीज ही नहीं थी उस क्षण में। ऐसा मैंने कभी देखा ही नहीं था । हक्सले ने लिखा है कि क्या कबीर ने जाना होगा अपनी समाधि में, क्या इकहार्ट को पता चला होगा, जब वह कुर्सी ऐसी रंगीन हो गयी, स्वर्गीय हो गयी । देवताओं के स्वर्ग की कुर्सियां फीकी पड़ गयीं । सारा जगत ओछा मालूम पड़ने लगा । हो गया उस कुर्सी को ? उस कुर्सी को कुछ नहीं हुआ। कुर्सी अब भी वही है। हक्सले को कुछ हो गया। हक्सले को भीतर कुछ गया। वह जो भीतर केमिकल गया है, खून में दौड़ गया है, उसने हक्सले की मनोदशा बदल दी। हक्सले अब सम्मोहित है। अब यह कुर्सी अप्सरा हो गयी। छह घंटे बाद जब नशा उतर गया एल. एस. डी. का, तो, कुर्सी वापस कुर्सी हो गयी। कुर्सी, कुर्सी थी ही; हक्सले वापस हक्सले हो गये। फिर कुर्सी साधारण है। इसलिए हनीमून के बाद अगर स्त्री साधारण हो जाये, पुरुष साधारण हो जाये घबराना मत। कुर्सी, कुर्सी हो गयी। कोई आदमी सुहागरात में ही जिंदगी बिताना चाहे तो गलती में है। पूरी रात भी सुहागरात हो जाये तो जरा कठिन है। कब नशा टूट जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता । मुल्ला नसरुद्दीन स्टेशन पर खड़ा था। पत्नी को बिदा कर रहा था। गाड़ी छूट गयी। किसी परिचित ने पूछा कि नसरुद्दीन! पत्नी कहां जा रही है? मुल्ला ने कहा, 'हनीमून पर, सुहागरात पर ।' मित्र थोड़ा हैरान हुआ । उसने कहा, 'क्या कहते हो? तुम्हारी ही पत्नी है न ?' मुल्ला ने कहा, 'मेरी ही है।' 'तो अकेली कैसे जा रही है हनीमून पर ?' मुल्ला ने कहा, 'हम पिछले साल हनीमून पर हो आये, यह सस्ता भी था, अलग-अलग जाना, सुविधापूर्ण भी था । ' 'और फिर मैंने सुना है कि हनीमून के बाद विवाह फीका हो जाता है। तो हम अलग-अलग हो आये हैं, ताकि विवाह जो है फीका न हो । हनीमून पर हो भी आये हैं नियमानुसार, और हनीमून अभी हुआ भी नहीं ।' वह जो हनीमून है, वह जो सुहागरात है, वह जो दिखायी पड़ता है, वह आपके भीतर केमिकल्स ही हैं। इसलिए बहुत खयाल रखें, जहां अमरीका में या योरोप में शादी के पहले यौन के संबंध निर्मित होने लगे हैं, वहां हनीमून तिरोहित हो गया। वहां हनीमून पैदा होता Jain Education International 36 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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