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महावीर-वाणी भाग : 2
है। एक दफा स्त्री खो भी जाये, तो दूसरी पा लेना बहुत आसान मालूम होता है। कार से मनुष्य का ज्यादा निजी संबंध हो गया है। पशुओं से संबंध हो जाते हैं, वस्तुओं से संबंध हो जाते हैं। लेकिन हमारी वासना हमारी हर चीज में चलती है। ___ मुल्ला नसरुद्दीन अपने मनसचिकित्सक के पास गया है, बेचैन है। । और चिकित्सक पूछता है, 'तुम्हारी परेशानी क्या है ?' नसरुद्दीन कहता है कि क्षमा करें, आप बुरा तो नहीं मानेंगे? और मेरी बहुत निंदा तो नहीं करेंगे? मैं एक घोड़े के प्रेम में पड़ गया हूं। चिकित्सक ने कहा कि इसमें चिंता की कोई ऐसी बात नहीं है। बहुत लोग पशुओं से स्नेह-भाव रखते हैं। मैं खुद ही अपने कुत्ते को बहुत प्रेम करता हूं । नसरुद्दीन ने कहा, 'आप समझे नहीं, आइ लव माइ हार्स वेरी रोमांटिकली, जस्ट लाइक वन वुड लव ए वुमन-मैं ऐसे ही प्रेम करता हूं रोमांस से भरा हुआ, जैसे कोई किसी स्त्री को प्रेम करे।'
चिकित्सक थोड़ा-सा चिंतित हुआ। फिर भी उसने अपना प्रोफेशनल, व्यावसायिक थिर स्थिति बनाये रखी। और उसने कहा, 'यह जो घोड़ा है, नर है या मादा?'
नसरुद्दीन ने कहा, 'फीमेल आफकोर्स ! व्हाट डू यू थिंक, ऐम आइ फूल?-क्या मैं कोई मूर्ख हूं? मादा ही है !' . घोड़े को प्रेम करने में उसे मूर्खता नहीं मालूम पड़ रही है, लेकिन नर घोड़े को प्रेम करने में मूर्खता मालूम पड़ रही है।
गहरा अचेतन कामवासना को, सारे जगत को, दो हिस्सों में बांट देता है-स्त्री और पुरुष–सारे जगत को। जिन चीजों से आप प्रभावित होते हैं, उनमें कुछ स्त्रैण होता है अगर आप पुरुष हैं। अगर आप स्त्री हैं, तो उनमें कुछ पुरुष-तत्व होता है तब आप प्रभावित होते हैं। पुरुष और स्त्री की पसन्दगियों में विपरीत मौजूद होता है । हर चीज में मौजूद होता है। इसलिए पुरुष एक जीपको उतना पसंद नहीं करता, जितना एक सुकोमल, ठीक से ढाली हुई कार को पसंद करता है। जीप पुरुष जैसी मालूम पड़ती है। ठीक से ढाली हुई गाड़ी, जिसके अंग गोल हैं, स्त्रैण मालूम पड़ती है। __ महावीर कहते हैं कि हमारा प्रत्येक कृत्य हमारी वासनाओं से प्रभावित होता है। साधु वही है, जो सब भांति कुशील लिंग छोड़ देता है। जो सब भांति अपने व्यवहार-वस्त्र, उठने-बैठने, भोजन, अपनी पसंदगी, नापसंदगी हर चीज में से कामवासना के तत्व को अलग कर लेता है; शील के तत्व को स्थापित करता है। 'जो किसी का हंसी-मजाक नहीं करता...।'
यह थोड़ा समझने जैसा है, क्योंकि फ्रायड ने इस पर बड़ा काम किया। फ्रायड की खोज यह है कि हम किसी का हंसी-मजाक तभी करते हैं, जब हम परोक्ष रूप से उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। हमारा हंसी-मजाक भी हमारी हिंसा का हिस्सा है । जो बात आप सीधे नहीं कर सकते किसी से, वह आप मजाक में कहते हैं । मजाक में क्षमा कर दी जायेगी। क्योंकि आप कह सकते हैं, 'सिर्फ मजाक था, ऐसी कोई बात नहीं थी। सिर्फ मजाक कर रहा था' क्षम्य हो जायेगा। अगर सीधा आपकहते हैं तो अक्षम्य हो सकता है: उपद्रव हो सकता
___ हमारा मजाक भी अकारण नहीं होता, उसके पीछे मानसिक कारण होते हैं। कल ही मुझसे कोई पूछ रहा था कि यूरोप में यहूदियों के संबंध में सबसे ज्यादा मजाक प्रचलित हैं, जैसे भारत में सरदारों के संबंध में ज्यादा प्रचलित हैं। उस मित्र ने मुझसे पूछा कि ऐसा क्यों है ? यहूदियों के संबंध में इतने मजाक क्यों प्रचलित हैं यूरोप में ? तो मैंने कहा, उसका कारण है। यहूदियों में कई क्षमताएं हैं। और उनसे ईर्ष्या पैदा होती है। और उस ईर्ष्या का बदला मजाक से लिया जाता है । यहूदी से अगर आप धन में प्रतिस्पर्धा करें--आप जीत न पायेंगे। अगर यहूदी से आप चालाकी में प्रतिस्पर्धा करें-आप हारेंगे। पिछले सौ वर्षों में यहूदियों ने सर्वाधिक नोबल प्राइज जीते हैं। इस सदी के तीन बड़े मस्तिष्क,जो किसी भी सदी के बड़े मस्तिष्क
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