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________________ कौन है पूज्य ? से ज्यादा भली है; उनसे भी ज्यादा भली है, इसलिए पीछे लगी रहती है, पिंड ही नहीं छोड़ती उनका कि छोड़ो, शराब पीना छोड़ो। न पत्नी की यह समझ में आता है कि निरंतर बीस साल से उसकी यह कोशिश कि शराब छोड़ो...छोड़ो, उनको शराब पीने की तरफ धक्का दे रही है। पत्नी मुझे कह रही थी आकर कि वैसे तो वे मेरे सामने बिलकुल शांत रहते हैं, दब्बू रहते हैं, जब होश में रहते हैं; लेकिन रात जब वे पीकर आ जाते हैं तो बड़ा ज्ञान बघारने लगते हैं और बड़ी ऊंची बातें! और आपको सुन लेते हैं, तो वह जो सुन लेते हैं उसको आकर रात दो-दो, तीन-तीन बजे तक प्रवचन करते हैं और फिर वे बिलकुल नहीं दबते मुझसे । फिर वे सोने को भी राजी नहीं होते। फिर तो वे डरते ही नहीं: किसी को कछ समझते ही नहीं। लेकिन दिन में बिलकल दब्ब रहते हैं! __अब इसको थोड़ा समझना जरूरी है कि हो सकता है वे दब्बूपन मिटाने के लिए ही शराब पीना शुरू कर दिये हों। पत्नी ने इतना दबा दिया है कि जब तक वे होश में हैं, तब तक हीन मालूम पड़ते हैं; जब होश खो जाता है, तब फिर वे फिकर नहीं करते पत्नी की और बीस साल निरन्तर किसी की खोपड़ी को सताते रहो कि मत पियो, मत पियो, मत पियो, बिना इसकी फिकर किये कि वह क्यों पी रहा है। __ कोई व्यक्ति शराब पीने ऐसे ही नहीं चला जाता । जीवन में कुछ दुख है, कुछ भुलाने योग्य है । सभी जानते हैं कि शराब नुकसान कर रही है, फिर भी नुकसान को झेलकर भी आदमी पिये जाता है, क्योंकि कुछ जो भुलाने योग्य है, वह इतना ज्यादा है कि नुकसान सहना बेहतर है, बजाय उसको याद रखने के। लेकिन हम दुर्गण छोड़ने पर जोर देते हैं। दुर्गुण छुड़ाने से नहीं छूटते । वह पत्नी भूल में है। वह शराब कभी भी नहीं छूटेगी। वह शराब को पिलाने में पचास प्रतिशत उसका भी हाथ है; ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि पत्नी से पति डरने लगा है। जहां डर है, वहां प्रेम खो जाता है, और जहां प्रेम नहीं है, वहां आदमी अपने को भलाने की चेष्टा शरू कर देता है। मैंने उनकी पत्नी को कहा कि कम से कम तू तीन महीने के लिये इतना कर कि छोड़ दे कहना । उसने कुछ ही दिन बाद आकर मुझे कहा कि बड़ी मुश्किल है! जैसे उनकी आदत पड़ गयी पीने की, वैसे ही मेरी आदत पड़ गयी छुड़ाने की। ___ अब आपको पक्का खयाल नहीं हो सकता, अगर पति सच में ही छोड़ दे शराब पीना, तो पत्नी परेशान हो जायेगी; जितनी वह अभी है उससे ज्यादा, क्योंकि छुड़ाने को कुछ भी न बचेगा। मैंने उस पत्नी को कहा कि जब तुझे लगता है कि तू कहना नहीं छोड़ सकती, तो पीना छोड़ना कितना कठिन होगा, यह तो सोच! तो थोड़ी दया कर और तेरे कहने से नहीं छूटती है, यह भी तुझे अनुभव है। बीस साल, काफी अनुभव है। ___ कोई दुर्गुण सीधा नहीं छोड़ा जा सकता। जो भी छुड़ाने की कोशिश करते हैं वे नासमझ हैं । वे दुर्गुण को और बढ़ाते हैं । सदगुण पैदा किया जाये। कोई आदमी अपने को भुलाने के लिये शराब पी रहा है, तो उस आदमी के जीवन में कुछ सुखद नहीं है । उस आदमी के जीवन में सुखद पैदा हो, तो वह स्वयं को भुलाना छोड़ देगा, क्योंकि कोई भी सुख को नहीं भूलना चाहता; सभी दुख को भूलना चाहते हैं। और इस आदमी को भी खुद खयाल नहीं है कि मैं क्या कर रहा हूं। वह भी छोड़ने की कोशिश करते हैं कि छोड़ दूं, छोड़ दूं, पर कुछ नहीं होता । छोड़कर क्या होगा? कुछ भीतर खो रहा है । कोई मौलिक तत्व भीतर मौजूद नहीं है । उसको पहले पैदा करना पड़ेगा। ___ सभी शराब पीनेवाले अपराधी नहीं हैं, सिर्फ मूर्च्छित हैं; मानसिक रूप से रुग्ण हैं और जीवन का आह्लाद नहीं है; भीतर तो शराब की जरूरत पड़ रही है । इन मित्र को मैं कहता हूं कि जीवन का आह्लाद पैदा करो; नाचो, गाओ, ध्यान करो, प्रसन्न होओ, और प्रसन्नता की थोड़ी सी रेखा तुम्हारे भीतर आ जाये तो तुम शराब पीना बंद कर दोगे, क्योंकि जब भी तुम शराब पीयोगे, वह प्रसन्नता की रेखा मिट जायेगी। अभी दुख है भीतर, शराब पीने से दुख मिटता है; आनंद होगा, आनंद मिटेगा। आनंद को कोई नहीं मिटाना चाहता । तो तुम आनंदित होने की कोशिश करो, शराब का बिलकुल खयाल ही छोड़ दो। पीते रहो और आनंदित होने की कोशिश करो । गुण को पैदा 333 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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