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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 सतायेंगे नहीं, तब तक इनको रस ही नहीं आ सकता । जब तक ये एक-दूसरे को परेशान नहीं करेंगे, मरोड़ेंगे-तोड़ेंगे नहीं, तब तक इनको रस नहीं आ सकता । इनका रस ही पीड़ा है। ...छोटे बच्चे में भी जग जाता है, कोई बडों में ही जगता है. ऐसा नहीं। छोटा बच्चा भी. कीडा दिख जाये. फौरन मसल देगा उसको पैर से । तितली दिख जाए-पंख तोड़कर देखेगा, क्या हो रहा है? मेंढक को पत्थर मारकर देखेगा, क्या हो रहा है, कुत्ते की पूंछ में डिब्बा बांध देगा...छोटा बच्चा! वह भी पीड़ा में रस ले रहा है। ___ छोटा बच्चा भी आपका ही छोटा रूप है...बड़ा हो रहा है। आप कुत्ते की पूंछ में डिब्बा नहीं बांधते, आप आदमियों की पूंछ में डिब्बा बांधते हैं—रस लेते हैं, फिर क्या हो रहा है? कुछ लोग उसको राजनीति कहते हैं, कुछ लोग उसको व्यवसाय कहते हैं, कुछ लोग जीवन की प्रतिस्पर्धा कहते हैं, लेकिन दूसरे को सताने में बड़ा रस आता है । जब दूसरे को बिलकुल चारों खाने चित्त कर देते हैं, तब आपको बड़ी प्रसन्नता होती है कि जीवन में कोई परम गुह्य की उपलब्धि हो गई। नील लेश्यावाला व्यक्ति आमतौर से, जिसको हम विवाह कहते हैं, वह नील लेश्यावाले व्यक्ति का लक्षण है-दूसरे से कोई मतलब की कोई घटना नहीं है । इसलिए भारतीयों ने अगर विवाह पर इतना जोर दिया और प्रेम-विवाह पर बिलकुल जोर नहीं दिया, तो उसका बड़ा कारण यही है कि सौ में से निन्यानबे लोग नील लेश्या में जीते हैं। प्रेम उनके जीवन में है ही नहीं, इसलिए प्रेम को कोई जगह देने का कारण नहीं। उनको जीवन में कुल एक स्त्री चाहिये, जिसका वे उपयोग कर सकें—एक उपकरण...। मुल्ला नसरुद्दीन का विवाह होने को था। लड़की दिखाई नहीं गई थी। पुराने जमाने की बात थी। फिर जिस दिन सगाई का मुहूर्त होने को था, उस दिन बाप और गांव के कुछ लोग नसरुद्दीन को सजा-धजाकर लड़कीवालों के गांव ले गये। पास ही गांव था। तब तक लड़की देखी नहीं गई थी, न लड़कीवालों का घर देखा गया था, न परिवार के लोग देखे गये थे। वहां लड़की भी सज-धजकर तैयार थी, उसकी सखियां भी सज-धजकर सब तैयार थीं। कोई पंद्रह-बीस युवतियां स्वागत के लिए थीं। ___ नसरुद्दीन के बाप ने ऐसे ही नसरुद्दीन से पूछा, वह जानता तो था कि यह लड़का कुछ तिरछा-तिरछा है, ऐसे ही पूछा कि क्या तू बता सकता है, नसरुद्दीन, कि इनमें से, बीस लड़कियों में से कौन-सी लड़की तेरी पत्नी होनेवाली है? नसरुद्दीन ने कहा, 'निश्चित!' उसने एक नजर डाली और कहा कि यह लड़की । ___ बाप हैरान हो गया । वह लड़की ठीक वही लड़की थी, जिससे शादी होनेवाली थी। उसने कहा कि 'हद कर दी, नसरुद्दीन! तूने कैसे पहचाना? क्योंकि तूने कभी देखा नहीं।' तो नसरुद्दीन ने कहा, 'इसका कारण है, अभी उसको देखकर मुझे घबड़ाहट हो रही है। यही मेरी पत्नी होनेवाली है, इसमें कोई शक नहीं है। अभी से मेरा डर... हृदय कंपित हो रहा है।' कोई प्रेम का संबंध नहीं है, कोई प्रेम की बात नहीं है, उपकरण चाहिए । इसलिए विवाह एक लंबी कलह है, जिसमें पति पत्नी का उपयोग कर रहा है, पत्नी पति का उपयोग कर रही है। बस दोनों साथ-साथ जी लेते हैं, इतना ही काफी है कि साथ-साथ चल लेते हैं। साथ-साथ रहकर दोनों अकेले ही रहते हैं-अलोन टुगेदर । कोई मेल नहीं हो पाता, क्योंकि मेल तो सिर्फ प्रेम से ही हो सकता है। ____ 'कापोत'...आकाशी रंग की जो लेश है, उसमें प्रेम की पहली किरण उतरती है। इसलिए अधर्म के जगत में प्रेम सबसे ऊंची घटना दा से ज्यादा धर्म की घटना है। और अगर आपके जीवन में प्रेम मूल्यवान है, तो उसका अर्थ है कि दूसरा व्यक्ति मूल्यवान हआ। यद्यपि वह भी अभी आपके लिए ही है। इतना मूल्यवान नहीं है कि आप कह सकें कि मेरा न हो तो भी मूल्यवान है। अगर मेरी पत्नी किसी और के भी प्रेम में पड़ जाये तो भी मैं खुश होऊंगा-खुश होऊंगा, क्योंकि वह खुश है। वह इतनी मूल्यवान नहीं है; उसके व्यक्तित्व का कोई इतना मूल्य नहीं है, कि मेरे सुख के अलावा किसी और का सुख उससे निर्मित होता हो, तो भी मैं सुखी रहूं। 284 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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