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अकेले ही है भोगना जीसस ने अपने शिष्यों को कहा है, देखो! खेतों में खिले हुए लिली के फूलों को, वे कल की चिन्ता नहीं करते। वे अभी और यहीं खिल गये हैं । ऐसे ही तुम भी हो जाओ। डू नाट थिंक आफ टुमारो । कल की मत सोचो । लिली का फूल भी अगर कल की सोच सके, अगर किसी तरकीब से हम उसमें भी जीवेषणा पैदा कर दें, तो अभी कुम्हला जायेगा । आदमी का कुम्हलाना कल की चिन्ता का परिणाम
चे फूल की तरह खिले मालूम पड़ते हैं। क्या है कारण, क्या है राज! बच्चों के लिए अभी जीवेषणा नहीं है, जीवन ही है। अर्भ वे खेल रहे हैं, तो जैसे यहीं सब समाप्त हो गया, इसी खेल में सब पूरा है। इस खेल में वे अपनी समग्र आत्मा से उतर गये हैं, कल नहीं है। जिस दिन बच्चा कल की सोचने लगता है, समझना कि वह बूढ़ा होना शुरू हो गया।
जब तक बच्चा आज में जीता है, अभी में जीता है, तब तक समझना, अभी वह बचपन का सौंदर्य है। जिस दिन वह कल की सोचने लगे, समझो कि बुढ़ापे ने उसे पकड़ लिया। अब दुबारा बचपन बहुत मुश्किल हो जायेगा। ___ जीसस ने कहा है, वही मेरे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे, जो बच्चों की भांति हैं। बच्चों की भांति होने का एक ही अर्थ है कि जो अभी
और यहीं जीने में समर्थ हैं, वे स्वर्ग में प्रवेश कर जायेंगे। स्वर्ग कहीं और नहीं है. इसी क्षण में है। नरक कहीं और नहीं है. स्थगित जीवन में है, कल में है। अस्तित्व पास खड़ा है। ___ स्वामी राम एक कहानी कहा करते थे, वे कहते कि एक प्रेमी दूर चला गया । जो समय दिया था, नहीं लौट सका । पत्र उसके आते रहे, आऊंगा, जल्दी आता हूं, जल्दी आता हूं। वह टालता रहा आना । फिर प्रेयसी थक गयी प्रतीक्षा करते-करते और एक दिन उसके द्वार पर पहुंच गयी। सांझ हो गयी थी, अंधेरा उतर रहा था, छोटा सा दीया जलाकर वह अपने कमरे में बैठकर कुछ लिख रहा था। प्रेयसी ने बाधा न डालनी उचित समझी। वह सामने बैठ गयी। वह पत्र लिखता रहा-वह पत्र ही लिख रहा था। इसी प्रेयसी को लिख रहा था!
प्रेमियों के पत्र, उनका अंत नहीं आता । वह लम्बा होता चला गया। रात आगे बढ़ती चली गयी। उसने आंख भी न उठायी, आंख से आंसू बह रहे हैं । और वह पत्र लिख रहा है, और फिर समझा रहा है कि आऊंगा, जल्दी आऊंगा । अब ज्यादा देर नहीं है। और जिसके लिए पत्र लिख रहा है, वह सामने बैठी है। पर आंसुओं से धूमिल आंखें, पत्र में लीन उसका मन, भविष्य में डूबी हुई उसकी वासना, जो मौजूद है उसे नहीं देख पा रहा है।
फिर आधी रात गये उसका पत्र पूरा हुआ। आंखें उसने ऊपर उठायीं, भरोसा न आया। जिस दिन आप भी आंखें उठायेंगे भरोसा न आयेगा कि जीवन सामने ही बैठा है। वह घबरा गया । घबराकर उसने पूछा । अभी यही सोच रहा था कि कब देखूगा अपनी प्रेयसी को, कब होंगे दर्शन? और अब दर्शन सामने हो गये हैं तो वह घबरा गया। समझा कि कोई भत है. प्रेत है। घबराकर जोर से पछा
उसकी प्रेयसी ने कहा, 'क्या मुझे भूल ही गये? मैं बड़ी देर से आकर बैठी हूं। तुम लिखने में लीन थे, सोचा, बाधा न डालूं।' उसने सिर ठोंक लिया। उसने कहा, 'मैं तुझे ही पत्र लिखता था।'
हम सब भी, जिसे पत्र लिख रहे हैं जिस जीवन को, वह अभी और यहीं मौजूद है । जिसकी हम कामना कर रहे हैं, वह यहीं बिलकुल हाथ के पास निकट ही खड़ा है, लेकिन आंखें हमारी दूर भटक गयी हैं, कल्पना हमारी दूर चली गयी है, इसलिए पास नहीं देख पाती। __ हम पास के लिए सभी अंधे हो गये हैं। दूर का हमें दिखायी पड़ता है, पास का हमें बिलकुल दिखायी नहीं पड़ता। पास देखने की क्षमता ही हमारी खो गयी है । अभ्यास ही हमारा दूर के देखने का है । जितना दूर हो, उतना साफ दिखायी पड़ता है । जितना पास हो उतना धुंधला हो जाता है।
जीवन है अभी और जीवेषणा है कल । जो अपने प्राणों को कल पर लगाये हुए है, उस विक्षिप्त चेतना का नाम जीवेषणा है। जो
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