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शरणागति : धर्म का मूल आधार
आप 'ट्रांसैंड' कर जाते हैं, अतिक्रमण कर जाते हैं- साधारण तथाकथित नियमों का- जो हमें बां । और तीसरी बातशरणागति आपके जीवन द्वारों को परम ऊर्जा की तरफ खोल देती है जैसे कि कोई अपनी आंख को सूरज की तरफ उठा ले। सूरज की तरफ पीठ करने की भी हमें स्वतंत्रता है। सूरज की तरफ पीठ करके भी हम खड़े हो सकते हैं। सूरज की तरफ मुंह करके भी आंख बंद रख सकते हैं। सूरज का अनंत प्रकाश बरसता रहेगा और हम वंचित रह जाएंगे। लेकिन एक आदमी सूरज की तरफ घूम जाता है, जैसे कि सूरजमुखी का फूल घूम गया हो। आंख खोल लेता है, द्वार खुले छोड़ देता है। सूरज का प्रकाश उसके रोएं-रोएं, रंध्र-रंध्र में पहुंच जाता है। उसके हृदय के अंधकारपूर्ण कक्षों तक भी प्रकाश की खबर पहुंच जाती है। वह नया और ताजा, पुनरुज्जीवित हो जाता है। ठीक ऐसे ही विश्व-ऊर्जा के स्रोत हैं और उन विश्व-ऊर्जा के स्रोतों की तरफ स्वयं को खोलना हो तो शरण में जाने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं है। ___ इसलिए अहंकारी व्यक्ति दीन से दीन व्यक्ति है, जिसने अपने को समस्त स्रोतों से तोड़ लिया है। जो सिर्फ अपने पर ही भरोसा कर रहा है। वह ऐसा फूल है जिसने जड़ों से अपने संबंध त्याग दिये। और जिसने सूरज की तरफ मुंह फेरने से अकड़ दिखायी। वर्षा आती है तो अपनी पंखुड़ियां बंद कर लेता है। सड़ेगा, उसका जीवन सिर्फ सड़ने का एक क्रम होगा। उसका जीवन मरने की एक प्रक्रिया होगी। उसका जीवन परम जीवन का मार्ग नहीं बनेगा। लेकिन फूल पाता है रस- जड़ों से, सूर्यों से, चांद-तारों से। अगर फूल समर्पित है तो प्रफुल्लित हो जाता है। सब द्वारों से उसे रोशनी, प्रकाश, जीवन मिलता है।
शरणागति का तीसरा और गहनतम जो रूप है, वह प्रकाश, जीवन-ऊर्जा के जो परम स्रोत हैं, जो एनर्जी सोर्सेज़ हैं- उनकी तरफ अपने को खोलना है। इस पावलिटा का मैंने नाम लिया, इसके नाम से एक यंत्र वैज्ञानिक जगत में प्रसिद्ध है। वह कहलाता है, पावलिटा जनरेटर ।
उसने यंत्र बनाये हैं। बहुत संवेदनशील पदार्थों से बहुत छोटी-छोटी चीजें बनायी हैं, और अभूतपूर्व काम उन यंत्रों से पावलिटा कर रहा है। वह उन यंत्रों पर कहता है कि आप सिर्फ अपनी आंख गड़ाकर खड़े हो जाएं, पांच क्षण के लिए- कुछ न करें, सिर्फ आंख गड़ाकर उन यंत्रों के सामने खड़े हो जाएं। वह यंत्र आपकी शक्ति को संग्रहीत कर लेते हैं और तत्काल उस शक्ति का उपयोग किया जा सकता है। और जो काम आपका मन कर सकता था, बहुत दूर तक वही काम अब वह यंत्र कर सकता है। पांच मिनट पहले उस यंत्र को आप हाथ में उठाते तो वह मुर्दा था। पांच मिनट बाद आप उसको हाथ में उठाएं तो आपके हाथ में उस शक्ति का अनुभव होगा। पांच मिनट पहले आप जिसे प्रेम करते हैं, अगर आपने वह यंत्र उसके हाथ में दिया होता तो वह कहता, ठीक है। यह व्यक्ति कहता या वह स्त्री कहती कि ठीक है। लेकिन पांच मिनट उसे आप गौर से देख लें और आपकी ध्यान-ऊर्जा उससे संयुक्त हो जाए तो आप उस यंत्र को अपने प्रेमी के हाथ में दे दें - वह फौरन पहचानेगा कि आपकी प्रतिध्वनि उस यंत्र से
आ रही है। अगर क्रोध और घृणा से भरा हुआ व्यक्ति उस यंत्र को देख ले तो आप उसको हाथ से अलग करना चाहेंगे। अगर प्रेम और दया और सहानुभूति से भरा व्यक्ति देख ले तो आप उसे संभालकर रखना चाहेंगे। ___ पावलिटा ने तो एक बहुत अदभुत घोषणा की है। उसने कहा- बहुत शीघ्र भीड़ को छांटने के लिए गोली और लाठी चलाने की जरूरत न होगी। हम ऐसे यंत्र बना सकेंगे जो पंद्रह मिनट में वहां खड़े कर दिये जाएं तो लोग भाग जाएंगे। इतनी घृणा विकीर्णित की जा सकेगी। अभी उसके प्रयोग तो सफल हुए हैं उसने प्रयोग बताये हैं, लोगों को करके, और वे सफल हुए हैं। अब उसने नवीनतम जो यंत्र बनाया है वह ऐसा है कि आपको देखने की भी जरूरत नहीं है। आप सिर्फ एक विशेष सीमा के भीतर उसके पास से गुजर जाएं, वह आपको पकड़ लेगा।
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