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प्रश्नोत्तर
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नहिं राम बिन ठांव प्रेम-पंथ ऐसो कठिन उत्सव आमार जाति, आनंद आमार गोत्र मृत्योर्मा अमृतं गमय प्रीतम छवि नैनन बसी रहिमन धागा प्रेम का उड़ियो पंख पसार सुमिरन मेरा हरि करैं पिय को खोजन मैं चली साहेब मिल साहेब भये जो बोलैं तो हरिकथा बहुरि न ऐसा दांव ज्यूं था यूं ठहराया ज्यू मछली बिन नीर दीपक बारा नाम का अनहद में बिसराम
लगन महूरत झूठ सब सहज आसिकी नाहिं पीवत रामरस लगी खुमारी
रामनाम जान्यो नहीं सांच सांच सो सांच आई गई हिरा बहुतेरे हैं कोंपलें फिर फूट आईं
फिर पत्तों की पांजेब बजी फिर अमरित की बूंद पड़ी क्या सोवै तू बावरी चल हंसा उस देस कहा कहूं उस देस की
पंथ प्रेम को अटपटो
बिन
घन परत फुहार (सहजोबाई ) पद घुंघरू बांध (मीरा ) नहीं सांझ नहीं भोर ( चरणदास ) संतो, मगन भया मन मेरा (रज्जब ) कहै वाजिद पुकार ( वाजिद) मरौ हे जोगी मरौ (गोरख) सहज-योग (सरहपा -तिलोपा) बिरहिनी मंदिर दियना बार (यारी) प्रेम-रंग-रस ओढ़ चदरिया ( दूलन) दरिया कहै सब्द निरबाना (दरियादास बिहारवाले)
हंसा तो मोती चुगैं (लाल ) गुरु- परताप साध की संगति (भीखा) मन ही पूजा मन ही धूप ( रैदास) झरत दसहं दिस मोती (गुलाल ) नाम सुमिर मन बावरे ( जगजीवन ) अरी, मैं तो नाम के रंग छकी (जगजीवन ) कानों सुनी सो झूठ सब (दरिया) अमी झरत बिगसत कंवल ( दरिया)
हरि बोलौ हरि बोल (सुंदरदास) ज्योति से ज्योति जले (सुंदरदास) जस पनिहार धरे सिर गागर ( धरमदास )
का सोवै दिन रैन ( धरमदास ) सबै सयाने एक मत (दादू) पिव पिव लागी प्यास (दादू) अजहूं चेत गंवार (पलटू) सपना यह संसार ( पलटू) काहे होत अधीर (पलटू) कन थोरे कांकर घने (मलूकदास) रामदुवारे जो मरे (मलूकदास ) जरथुस्त्र : नाचता-गाता मसीहा ( जरथुस्त्र)
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