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कायोत्सर्ग : शरीर से विदा लेने की क्षमता
लगा रही थी। उसे दो-चार पैसे दाढी पर साबुन लगाने के मिल जाते थे। दिनभर वह लोगों की दाढ़ी पर साबुन लगाती रहती थी। उस आदमी ने आईने में देखकर कहा-कितनी सुंदर! और ग्रेटा गारबो ने लिखा है कि मैंने पहली दफा जिंदगी में किसी को कहते सुना-कितनी सुंदर! नहीं तो किसी ने कहा ही नहीं था, नाईबाड़े में दाढ़ी पर साबुन लगानेवाली लड़की, कौन फिक्र करता है! __ और ग्रेटा गारबो ने लिखा है कि मैंने पहली दफा आईने में गौर से देखा, और मेरे भीतर सब बदल गया। मैंने उस आदमी से कहा कि तुम्हारा धन्यवाद, क्योंकि मुझे मेरे सौंदर्य का कोई पता ही न था। तुमने स्मृति दिला दी। उस आदमी ने दुबारा आईने में देखा और ग्रेटा गारबो की तरफ देखा और कहा कि लेकिन, क्या हआ! जब मैंने कहा तो त इतनी संदर न थी, मैंने तो सिर्फ एक औपचारिक शिष्टाचार के वश कहा, लेकिन अब मैं देखता हूं तू सुंदर हो गयी। वह आदमी एक फिल्म डायरेक्टर था और ग्रेटा गारबो को अपने साथ लेकर गया। ग्रेटा गारबो श्रेष्ठतम सुंदरियों में एक बन गयी।
हो सकता था जिंदगीभर दाढ़ी पर साबुन लगाने का काम ही करती रहती। एक छोटा-सा विचार, इमेज, वह जो प्रतिमा थी उसकी अपने मन में, वह बदल गयी। असली सवाल आपके भीतर आपके तादात्म्य और आपकी प्रतिमा के बदलने का है। आप जन्मों-जन्मों से मानकर बैठे हैं कि शरीर है। बचपन से आपको सिखाया जा रहा है कि आप शरीर हैं। सब तरफ से आपको बहुत भरोसा और विश्वास दिलाया जा रहा है कि आप शरीर हैं। यह आटोहिप्नोसिस है, यह सिर्फ सम्मोहन है। आप कहेंगे कि सम्मोहन से कहीं इतनी बड़ी घटना घट सकती है? तो मैं आपको एक-दो घटनाएं कहं तो शायद खयाल में आ जाए।
अमेजान में एक कबीला है आदिवासियों का। जो बहत अनठा है। जैसा मैंने आपसे पीछे कहा है कि फ्रेंच डा. लोरेंजो स्त्रियों को बिना दर्द के प्रसव करवा देता है सिर्फ धारणा बदलने से, सिर्फ यह कहने से कि दर्द तुम्हारा पैदा किया हुआ है। तुम शिथिल हो जाओ
और बच्चा पैदा हो जाएगा बिना पीड़ा के। हम यह मान भी सकते हैं कि शायद समझाने बुझाने से स्त्री के मन पर ऐसा भाव पड़ जाता होगा, लेकिन दर्द तो होता ही है। लेकिन क्या आपको कभी कल्पना हो सकती है कि पत्नी को जब बच्चा पैदा होता हो तो पति के पेट में भी दर्द होता है? अमेजान में होता है और अमेजान में जब पत्नी को बच्चा होता है तो एक कोठरी में पत्नी बंद होती है, दूसरी कोठरी में पति बंद होता है। पत्नी नहीं रोती-चिल्लाती, पति रोता-चिल्लाता है! पत्नी को बच्चा होता है, पति को दर्द होता है!
यह हजारों साल से हो रहा है। और जब पहली दफा अमेजान के कबीले में दूसरे जाति के लोग पहुंचे तो वे चकित हो गए कि यह क्या हो रहा है। यह हो क्या रहा है! यह तो भरोसे की बात ही मालूम नहीं पड़ती। लेकिन पता चला कि उनके कबीलों में स्त्रियों को कभी दर्द हुआ ही नहीं। जब दर्द होता है पति को ही होता है, और डाक्टरों ने परीक्षा की और पाया कि वह काल्पनिक नहीं है, दर्द पेट में हो रहा है। सारी अंतडियां सिकडी जा रही हैं। जैसा पत्नी के पेट में होता है बच्चे के पैदा होते वक्त, वैसा पति को हो रहा है।
ये सब सम्मोहन हैं, जाति का सम्मोहन। जाति हजारों साल से ऐसा मानती रही, वही हो रहा है। जो हम मानते हैं, वही हो जाता है। पति को दर्द हो सकता है अगर जाति की यह धारणा हो। इसमें कोई अड़चन नहीं है। क्योंकि हम जीते सम्मोहन में हैं। हम जो मानकर जीते हैं वही सक्रिय हो जाता है। और हमारी चेतना की मानने की क्षमता अनंत है। यही हमारी स्वतंत्रता है, यही मनुष्य की गरिमा है। यही उसका गौरव है। यही उसका गौरव है कि उसकी चेतना की क्षमता इतनी है कि वह जो मान ले वही घटित हो जाता है। अगर आपने मान लिया है कि आप शरीर हैं तो आप शरीर हो गए, और यह सिर्फ आपकी मान्यता है, जस्ट ए बिलीफ। यह सिर्फ आपका भरोसा है। यह सिर्फ आपका विश्वास है।
क्या आपको पता है कि ऐसे कबीले हैं जिनमें स्त्रियां ताकतवर हैं और पुरुष कमजोर हैं! क्योंकि वे कबीले सदा से ऐसा मानते रहे हैं कि स्त्री ताकतवर है, पुरुष कमजोर है। तो जैसे अगर कोई आदमी यहां कमजोरी दिखाए तो आप कहते हैं-कैसा नामर्द। ऐसा उस
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