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________________ विनय : परिणति निरअहंकारिता की लेकिन अपने समाज में नहीं थे। क्योंकि वे समाज के रीति-नियम तोड़ रहे थे, वे बगावती थे, वे दुश्मन थे समाज के। ___ और आज भी जो महावीर को श्रेष्ठ कहता है, अगर कोई बगावती होगा खड़ा तो उसको कहेगा, यह आदमी खतरनाक है। इसलिए मरे हुए तीर्थंकर ही आदृत होते हैं। जीवित हुआ तीर्थंकर को आदृत होना बहुत मुश्किल है। क्योंकि जीवित तीर्थंकर बगावती होता है। मरा हुआ तीर्थंकर मरने की वजह से धीरे-धीरे स्वीकृत हो जाता है। एस्टाब्लिशमेंट का, स्थापित, न्यस्त मूल्यों का, हिस्सा हो जाता है। फिर कोई कठिनाई नहीं रह जाती। अब महावीर से क्या कठिनाई है? महावीर से जरा भी कठिनाई नहीं है। ___ महावीर नग्न खड़े थे और महावीर के शिष्य कपड़े की दुकानें कर रहे हैं पूरे मुल्क में। कोई कठिनाई नहीं है। महावीर के शिष्य जितना कपड़ा बेचते हैं कोई और नहीं बेचता। मेरे तो एक निकट संबंधी हैं, उनकी दुकान का नाम है, दिगंबर क्लाथ शाप। दिगंबर क्लाथ शाप? नंगों की कपड़ों की दुकान? महावीर सुनें तो बड़े हैरान होंगे कि और कोई नाम नहीं मिला तुम्हें? अब कोई दिक्कत नहीं, इससे दिक्कत ही नहीं आती कि दिगंबर और क्लाथ शाप में कोई विरोध है। लेकिन अगर महावीर नंगे दुकान के सामने खड़े हो जाएं तो विरोध साफ दिखाई पड़ेगा कि यह आदमी नंगा खड़ा है, हम कपड़े बेच रहे हैं। हम इसके शिष्य हैं, बात क्या है? अगर नग्न होना पुण्य है तो कपड़े बेचना पाप हो जाएगा, क्योंकि दूसरों को कपड़े पहनाना अच्छी बात नहीं है। फिर नाहक उनको पाप में ढकेलना है। नहीं, लेकिन मरे हुए महावीर से बाधा नहीं आती। खयाल ही नहीं आता। जब मैंने उन्हें याद दिलाया, उन्होंने कहा-आश्चर्य, हम तो तीस साल से यह बोर्ड लगाए हुए हैं और हमें कभी खयाल ही नहीं आया कि दिगंबर में और कपड़े में कोई विरोध है। नहीं, खयाल ही नहीं आता। मुर्दा तीर्थंकर हमारी व्यवस्था में सम्मिलित हो जाता है। हम उसको, उसकी नोकों को झाड़ देते हैं; उसकी बगावत को गिरा देते हैं; शब्दों पर नया रंग पालिश कर देते हैं, फिर वह ठीक है। लेकिन जिसको इतिहास पीछे से श्रेष्ठ कहता है उसका अपना समय उसे हमेशा उपद्रवी कहता है। किसको आदर? फिर श्रेष्ठ को जांचने का मार्ग भी तो कोई नहीं है। महाजन कौन है! महाजनों येन गतः स पंथा—जिस मार्ग पर महाजन जाते हैं, वही मार्ग है। लेकिन महाजन कौन है? मुहम्मद महाजन हैं? महावीर को माननेवाला कभी नहीं मान पाएगा कि यह आप क्या बात कर रहे हैं। तलवार लिए हए हाथ में जो आदमी खड़ा है, वह महाजन है? कौन है महाजन? मुहम्मद को माननेवाला कभी न मान पाएगा कि महावीर महाजन हैं। क्योंकि वह कहता है- जो आदमी बुराई के खिलाफ तलवार भी नहीं उठाता, वह आदमी नपुंसक है, क्लीव है। जब इतनी बुराई चलती है तो तलवार उठनी चाहिए। नहीं तो तुम क्या हो, तम मर्दे हो। धर्म तो जीवंत होना चाहिए। धर्म के हाथ में तो तलवार होगी, इसलिए मुहम्मद के हाथ में तलवार है। हालांकि तलवार पर लिखा है 'शांति मेरा संदेश है'। इस्लाम का मतलब शांति होता है। इस्लाम शब्द का मतलब शांति होता है। जैनी यह कभी सोच ही नहीं सकता कि इस्लाम और शांति, इनका कोई संबंध है? लेकिन मुहम्मद कहते हैं--जो शांति तलवार की धार नहीं बन सकती, वह बच नहीं सकती। बचेगी कैसे? कौन है श्रेष्ठ? कैसे तौलिएगा? इसलिए हमने तौलने का एक सरल रास्ता निकाला है. जिसमें तौलना नहीं पड़ता। हम जन्म से तौलते हैं। अगर मैं जैन घर में पैदा हुआ तो महावीर श्रेष्ठ; मुसलमान घर में पैदा हुआ तो मुहम्मद श्रेष्ठ । यह तौलने से बचने की तरकीब है। यह ऐसा उपाय खोजना है जिसमें मुझे तौलना ही नहीं पड़ता। अब जन्म तो हो गया, वह नियति बन गयी। उससे तुल जाती है बात कि श्रेष्ठ कौन है। आप सब इसी तरह तौल रहे हैं कि कौन श्रेष्ठ है, किसको आदर देना है! जब आप जैन साधु को आदर देते हैं तो आप यह जानकर आदर देते हैं कि वह साधु है या यह जानकर आदर देते हैं कि वह जैन है। साधु को तौलने का उपाय कहां है? कैसे तौलिएगा? एक मुंहपट्टी निकालकर अलग कर दे और आदर खत्म हो जाएगा। तो आप किसको आदर दे रहे थे? मुंहपट्टी को या इस आदमी को? मुंहपट्टी वापस लगा ले, पैर आप छूने लगेंगे। मुंहपट्टी नीचे रख दे, आप 279 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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