________________
प्रायश्चित : पहला अंतर तप
थोड़ी देर में वह भी पता नहीं चलेगा। अभी तो मुझे फोन नंबर याद है। थोड़ी देर में वह भी नहीं रहेगा। अभी तो मैं बता सकता हूँ, में मुल्ला नसरुद्दीन हूं। थोड़ी देर में वह भी नहीं बता सकूगा। जल्दी खोलो।
हम सब ऐसी तंद्रा में हैं, जहां पता भी नहीं चलता कि बाहर क्या है, भीतर क्या है। मैं कौन हूं, यह भी पता नहीं चलता। कहां जाना चाह रहे हैं, यह भी पता नहीं चलता। कहां से आ रहे हैं, यह भी पता नहीं चलता। क्या प्रयोजन है, किसलिए जी रहे हैं? कुछ पता नहीं चलता है। एक बेहोशी है—एक गहरी बेहोशी। उस बेहोशी में हाथ पैर मारे चले जाते हैं। उस हाथ पैर मारने को हम कर्म कहते हैं। कभी किसी को गलत लग जाता है तो माफी मांग लेते हैं; कभी किसी को लगने से कोई प्रसन्न हो जाता है तो कहते हैं—प्रेम कर रहे हैं। कभी लग जाता है, चोट खा जाता है, वह आदमी नाराज हो जाता है तो कह देते हैं-माफ करना, गलती हो गयी। हाथ वही है, अंधेरे में मारे जा रहे हैं। कभी ठीक, कभी गलत, ऐसा लगता मालूम पड़ता है, लेकिन हाथ बेहोश हैं, वे सदा ही गलत हैं।
प्रायश्चित में उतरना हो तो जान लेना कि मैं गलत है; मैं सोया हुआ हूं। गलत का मतलब, सोया हुआ हूं, बेहोश हूं। मुझे कुछ भी पता नहीं है कि मेरे पैर कहां पड़ रहे हैं, क्यों पड़ रहे हैं। आपको पता है, आप क्या कर रहे हैं? कभी एक दफा झकझोरकर अपने को खड़े होकर आपने सोचा है दो मिनट कि क्या कर रहे हैं इस जिंदगी में आप? यह क्या हो रहा है आपसे? इसीलिए आए हैं? यही है अर्थ? अगर जोर से झकझोरा तो एक सेकेंड के लिए आपको लगेगा कि सारी जिंदगी व्यर्थ मालूम पड़ती है। __ प्रायश्चित में वही उतर सकता है जो अपने को झकझोरकर पूछ सके कि क्या है अर्थ? इस जिंदगी का मतलब क्या है जो मैं जी
से शाम तक का चक्कर; यह क्रोध और घणा का चक्कर; यह प्रेम और घणा का चक्कर; यह क्षमा और दुश्मनी का चक्कर यह सब क्या है? यह धन और यह यश और यह अहंकार और यह पद और मर्यादा, यह सब क्या है? इसमें कोई अर्थ है? कि मैंने जो कुछ भी किया है इसमें मैं किसी तरफ बढ़ रहा हूं, कहीं पहुंच रहा हूं? कोई यात्रा हो रही है? कोई मंजिल करीब आती मालूम पड़ रही है? या में चक्कर की तरफ घूम रहा हूं? इन छह बाह्य तपों के बाद यह आसान हो जाएगा। संलीनता के बाद यह
आसान हो जाता है कि जब आपकी शक्ति आपके भीतर बैठ गयी है, तब आप झकझोर सकते हैं और पछ सकते हैं उसको जगाकर कि यह मैं क्या कर रहा हूं? यह ठीक है? यही है? यह कर लेने से मैं तृप्त हो जाऊंगा, संतुष्ट हो जाऊंगा?
आप मर जाएंगे, आपको लगता है जब तक जीते हैं-बड़ी जगह खाली हो जाएगी। कितने काम बंद हो जाएंगे! कितना विराट चक्कर आप चला रहे थे, लेकिन कब्रिस्तान भरे पड़े हुए हैं, ऐसे लोगों से जो सोचते थे कि उनके बिना दुनिया न चलेगी। दुनिया ही न चलेगी, सब शांत, चांद सूरज सब रुक जाएंगे। ___ मुल्ला नसरुद्दीन को किसी ने पूछा है कि अगर दुनिया मिट जाए तो तुम्हारा क्या खयाल है? तो उसने पूछा कि कौन-सी दुनिया? दो तरह से दुनिया मिटती है। उस आदमी ने कहा, हद हो गयी ! यह कोई नया सिद्धांत निकाला है तुमने? दुनिया एक ही तरह से मिट सकती है। नसरुद्दीन ने कहा-दो तरह से मिटेगी—एक दिन, जिस दिन मैं मरूंगा, दुनिया मिटेगी। और एक दुनिया मिट जाए, वह दूसरा ढंग है।
हम सब यही सोच रहे हैं कि जिस दिन मैं मरूंगा, दुनिया मिट जाएगी।
मुल्ला मर गया, उसे लोग कब्र में विदा करके वापस लौट रहे हैं। तो रास्ते पर एक अजनबी मिला है और उस अजनबी ने पूछा कि व्हाट वाज द कम्पलेंट? मर गया नसरुद्दीन, तकलीफ क्या थी? शिकायत क्या थी? जिस आदमी से पूछा, उसने कहा-देयर वाज़ नो कम्पलेंट, देयर इज़ नो कम्पलेंट। एवरीवन इज़ कम्पलीटली, थारोली सैटिस्फाइड। कोई शिकायत नहीं है। सब संतुष्ट हैं।
261
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org