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महावीर-वाणी
भाग : 1
स्वीकार करते हैं, आप उसके ऊपर उठ जाते हैं-तत्क्षण।
काया-क्लेश का यही अर्थ है। छठवां महावीर का बाह्य तप है—संलीनता। उस पर हम कल बात करेंगे।
अभी बैठेंगे...!
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