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________________ महावीर वाणी चित्त को सदा घेरे रहेगा। अगर आप अहंकार से लड़ रहे हैं और अहंकार के विपरीत जा रहे हैं तो आपका अहंकार सूक्ष्म से सूक्ष्म होकर आपके भीतर सदा खड़ा रहेगा । लड़ना थोड़ा संभलकर । क्योंकि जिससे हम लड़ते हैं, उससे हम बंध जाते हैं। तप इन्हीं भूलों में पड़कर रुग्ण हो गया। और जिन्हें हम तपस्वी की भांति जानते हैं, उनमें से निन्यानबे प्रतिशत मानसिक चिकित्सा के लिए उम्मीदवार हैं। उनकी मानसिक चिकित्सा जरूरी है। और ध्यान रहे, कामवासना से छूटना आसान है, क्योंकि कामवासना प्रकृति है। कामवासना के विपरीत जो कामवासना के विरोध से बंध गया, उससे छूटना मुश्किल पड़ेगा। क्योंकि वह प्रकृति से और एक कदम दूर निकल जाना है । इसे हम तीन शब्दों में समझ लें। एक को मैं कहता हूं प्रकृति, जिसे हमने कुछ नहीं किया, जो हमें मिली है – दि गिवन । जो हमें मिली है, वह प्रकृति है। अगर हम कुछ गलत करें तो जो हम कर लेंगे, उसका नाम है विकृति । और अगर हम कुछ करें और ठीक करें तो जो होगा, उसका नाम है संस्कृति । प्रकृति पर हम खड़े होते हैं। जरा-सी भूल और विकृति में चले जाते हैं । संस्कृति में जाना बहुत कठिन है। क्योंकि संस्कृति में जाने के लिए विकृति से बचना पड़ेगा और प्रकृति के ऊपर उठना पड़ेगा। दो बातें विकृति से बचना पड़ेगा और प्रकृति के ऊपर उठना पड़ेगा। अगर किसी ने सिर्फ प्रकृति से लड़ने की कोशिश की तो विकृति में गिर जाएगा। और विकृति संस्कृति से और एक कदम दूर है। प्रकृति उतनी दूर नहीं, प्रकृति मध्य में खड़ी है। विकृति, और आप गए। प्रकृति से भी दूर हट गए। इसलिए तो पशुओं में ऐसी विकृतियां नहीं दिखाई पड़तीं जैसी मनुष्यों में दिखाई पड़ती हैं। क्योंकि पशु प्रकृति से नहीं लड़ते, इसलिए विकृति नहीं दिखाई पड़ती। हम कल्पना भी नहीं कर सकते । अभी न्यूयार्क के एक चौराहे पर और वाशिंगटन में और और जगहों पर होमोसेक्सुअल्स ने जुलूस निकाले हैं और उन्होंने कहाहै कि यह हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। और इस वर्ष ... पिछले वर्ष, कम-से-कम सौ होमोसेक्सुअल्स ने विवाह किए। जो कि कल्पना के बाहर मालूम पड़ता है – एक पुरुष, एक पुरुष के साथ विवाह कर रहा है या एक स्त्री, एक स्त्री के साथ विवाह कर रही है— समलिंगी विवाह । सौ विवाह की घटनाएं दर्ज हुई हैं अमेरिका में इस वर्ष । और इन लोगों ने कहा है कि हम घोषणा करते हैं कि हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है कि हम जिसको प्रेम करना चाहते हैं, करें, कोई सरकार हमें रोके क्यों? एक पुरुष पुरुष को प्रेम करना चाहता है, उससे विवाह करना चाहता है, उनके काम-संबंध का अधिकार मांगता है। कम से कम डेढ़ सौ क्लब' : अमेरिका में हैं। और यूरोप में, स्वीडन में और स्विटजरलैंड में – सब जगह वे क्लब फैलते चले गए हैं। कम से कम दो सौ पत्रिकाएं आज जमीन पर निकलती हैं होमोसेक्सुअल्स की। पत्रिकाएं, जिनमें वे खबरें देते हैं और घोषणाएं देते हैं। - और आप हैरान होंगे कि अभी उन्होंने एक प्रदर्शन किया है, कैलिफोर्निया में, जैसा कि ब्यूटी कंपटिशन का होता है। • महिलाओं को, सुन्दर महिलाओं को हम नग्न खड़ा करते हैं। होमोसेक्सुअल्स ने पचास नग्न युवकों को खड़ा करके प्रदर्शन किया कि हम इनमें ही सौन्दर्य देखते हैं, स्त्रियों में नहीं। कोई पशुओं की हम कभी सोच सकते हैं कि पशु और होमोसेक्सुअल, नहीं! हां कभी-कभी ऐसा होता है, सर्कस के पशु होमोसेक्सुअल हो जाते हैं। या कभी-कभी अजायबघर के पशु होमोसेक्सुअल हो जाते हैं। मंड मौरिस ने एक किताब लिखी है - दि ह्यूमन जू । आदमियों का अजायबघर । और उसने लिखा है कि जो अजायबघर पशुओं के साथ होता है वह आदमियों के साथ समाज में हो रहा है। यह अजायबघर है, यह कोई समाज नहीं है। यह जू है । क्योंकि कोई पशु पागल नहीं होता, जंगल में; अजायबघर में पागल हो जाता है। कोई पशु जंगल में आत्महत्या नहीं करता देखा गया, आज तक। लेकिन अजायबघर में कभी-कभी आत्महत्या कर लेता है। पशु विकृत नहीं होता क्योंकि प्रकृति में ठहरा रहता है। आदमी कोशिश करता है, आदमी दो कोशिश कर सकता है या तो प्रकृति से लड़ने की कोशिश करे, तो आज नहीं कल विकृति में उतर Jain Education International भाग : 1 138 For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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