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________________ एक मित्र ने पूछा है कि महावीर रास्ते से गुजरते हों और किसी प्राणी की हत्या हो रही हो तो महावीर क्या करेंगे? किसी स्त्री के साथ बलात्कार की घटना घट रही हो तो महावीर क्या करेंगे? क्या वे अनुपस्थित हैं, ऐसा व्यवहार करेंगे? और कोई असह्य पीड़ा से कराह रहा हो तो महावीर क्या करेंगे? ___ इस संबंध में थोड़ी-सी बातें समझ लेनी उपयोगी हैं। एक तो महावीर गुजरते हुए रास्ते से, और किसी की हत्या हो रही हो, तो हत्या में जो हम देख पाते हैं, वह महावीर को नहीं दिखाई पड़ेगा। जो महावीर को दिखाई पड़ेगा वह हमें कभी दिखाई नहीं पड़ता है। पहले तो इस भेद को समझ लेना चाहिये। जब भी हम किसी की हत्या होते देखते हैं तो हम समझते हैं, कोई मारा जा रहा है। महावीर को यह नहीं दिखाई पड़ेगा कि कोई मारा जा रहा है। क्योंकि महावीर जानते हैं कि जो भी जीवन का तत्व है, वह मारा नहीं जा सकता, वह अमृत है। दूसरी बात, जब भी हम देखते हैं कि कोई मारा जा रहा है तो हम सोचते हैं मारनेवाला ही जिम्मेवार है। महावीर को इसमें फर्क दिखाई पड़ेगा। जो मारा जाता है, वह भी बहुत गहरे अर्थों में जिम्मेवार है। और हो सकता है केवल अपने ही किये गये किसी कर्म का प्रतिफल पाता हो। जब भी हम देखेंगे तो मारनेवाला जिम्मेवार और मारा जानेवाला हमेशा निर्दोष मालूम पड़ेगा। हमारी दया और हमारी करुणा उसकी तरफ बहेगी, जो मारा जा रहा है। महावीर के लिए ऐसा जरूरी नहीं होगा, क्योंकि महावीर का देखना और गहरा है। हो सकता है कि जो मार रहा है वह केवल एक प्रतिकर्म पूरा कर रहा हो। क्योंकि इस जगत में कोई अकारण नहीं मारा जाता है। जब कोई मारा जाता है तो वह उसके ही कर्मों के फल की श्रृंखला का हिस्सा होता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि जो मार रहा है वह जिम्मेवार नहीं। लेकिन हमारे और महावीर के देखने में फर्क पड़ेगा। जब भी हम देखते हैं, कोई मारा जा रहा है तो हम सोचते हैं निश्चित ही पाप हो रहा है; निश्चित ही बुरा हो रहा है। क्योंकि हमारी दृष्टि बहुत सीमित है। महावीर इतना सीमित नहीं देख सकते। महावीर देखते हैं जीवन की अनंत श्रृंखला को। यहां कोई भी कर्म अपने में पूरा नहीं है-वह पीछे से जुड़ा है, और आगे से भी। ___ हो सकता है कि अगर हिटलर को किसी आदमी ने मार डाला होता 1930 के पहले तो वह आदमी हत्यारा सिद्ध होता। हम नहीं देख पाते कि एक ऐसा आदमी मारा जा रहा है जो कि एक करोड़ लोगों की हत्या करेगा। महावीर ऐसा भी देख पाते हैं। और तब तय करना मुश्किल है कि हिटलर का हत्यारा सचमुच बुरा कर रहा था या अच्छा कर रहा था। क्योंकि हिटलर अगर मरे तो करोड़ लोग 93 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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