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AIMIRMATI
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मग्गो मग्गफलं ति य, द्रविहं जिणसासणे समक्खादं। मग्गो खलु सम्मतं मग्गफलं होइ निव्वाणं ।।५२।।
दंसणाणचरित्ताणि, मोक्खमग्गो त्ति सेविदव्वाणि। साधूहि इदं भणिदं, तेहिं दु बंधो व मोक्खो वा।।५३।।
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आण्णाणादो पाणी, जदि मण्णादि सुद्धसंपओगादो। हवदि त्ति दुक्खमोक्खं परसमयरदो हवदि जीवो।।५४ ।।
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KIRANI
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