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on 2 C.Sc.SC. GON
प्रश्न-सार
मुझसे न समर्पण होता है और न मुझमें संकल्प की शक्ति है।
और आपसे दूरी भी बरदाश्त नहीं होती। क्या करूं?
आपका कहना है कि प्यास है तो जल भी होगा ही, और प्यासा ही जल को नहीं खोजता, जल भी प्यासे को खोजता है...?
मेरा मार्ग-निर्देश करें।
आश्चर्य है कि मैं आपके प्रति अनाप-शनाप बकता हूं,
कभी-कभी गाली भी देता हूं।
यह क्या है?
मेरी विचित्र धारणाओं के कारण आप मुझे भगवान जैसे नहीं लगते...?
मेरी दिनचर्या आनंदचर्या बन गयी है। अब पिघलूं और बहू-बस यही कह दें!
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