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सूत्र
जं इच्छसि अप्पणतो, जं च न इच्छसि अप्पणतो। तं इच्छ परस्स वि या, एत्तियगं जिणसासणं।।१।।
अधुवे असासयम्मि, संसारम्मि दुक्खपउराए। किं नाम होज्ज तं कम्मयं, जेणाऽहं दुग्गइ न गच्छेजा।।२।।
खणामित्तसुक्खा बहुकालदुक्खा, पगामदुक्खा अणिगामसुक्खा। संसारमोक्खस्स विपक्खभूया, खाणी अणत्थाण उ कामभोगा।।३।।
सुट्ठवि मग्गिज्जतो, कत्थवि केलीइ नत्थि जह सारो। इंदिअविसएसु तहा, नत्थि सुहं सुट्ठ वि गविट्ठ।।४।।
जह कच्छुल्लो कच्छं, कंडयमाणो दुहं मुणइ सुक्खं। मोहाउरा मणुस्सा, तह कामदुहं सुहं विंति।।५।।
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