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17. आत्मा परम आधार है 18. धर्म आविष्कार है स्वयं का 19. धर्म की मूल भित्तिः अभय 20. पलकन पग पोंछे आज पिया के 21. जिन-शासन अर्थात आध्यात्मिक ज्यामिति 22. परमात्मा के मंदिर का द्वार : प्रेम 23. जीवन की भव्यता : अभी और यहीं 24. मांग नहीं—अहोभाव, अहोगीत 25. दर्शन, ज्ञान, चरित्र-और मोक्ष 26. तुम्हारी संपदा—तुम हो 27. साधु का सेवन : आत्मसेवन 28. जीवन का ऋतः भाव, प्रेम, भक्ति 29. मोक्ष का द्वार : सम्यक दृष्टि 30. प्रेम है आत्यंतिक मुक्ति 31. सम्यक दर्शन के आठ अंग
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