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प्रकाशकीय
भूमिका
अनुवादक की कलम से...
श्री चित्रभानु - बहुमुखी व्यक्तित्व की एक झलक
बारह भावनाएँ
प्रथम - अनित्य भावना
अनित्य के भीतर है नित्य
द्वितीय - अशरण भावना
तृतीय - संसार भावना
अनुक्रमणिका
असुरक्षित संसार में स्वयं की सुरक्षा
चतुर्थ - एकत्व भावना निर्भरता से मुक्ति
सप्तम
जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति
पंचम - अन्यत्व भावना अतुल्य की खोज में
षष्ठ - अशुचि भावना दीपक की लौ
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आश्रव भावना
कम्पनों के अंतःप्रवाह पर चिंतन
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