SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 272
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ की शस्त्रक्रिया (Neurosurgery)| __ अब तक के सभी प्रकरणों पर से समझा जा सकता है कि मस्तिष्क और चेतातंत्र, महत्व का और अति नाजुक तंत्र है । उसकी कार्यपद्धति बिलकुल विशिष्ट-भिन्न और इतनी ही नाजुक प्रकार की है। उसके विभिन्न हिस्सों को नुकसान पहुँचे तो विभिन्न चिह्नसमूह उद्भवित होते है, जिसके निवारण हेतु मेडिकल जाँच तथा एम.आर.आई., सी.टी. स्कैन, ई.एम.जी., रक्त की जाँच, कमर के पानी की जाँच जैसे विभिन्न टेस्ट करवाने पडते है, जिसके लिए न्यूरोफिजिशियन (या अनुभवी फिजिशियन) की मदद ली जा सकती है। यह डॉक्टर्स इन बिमारीओं का निवारण, अधिकतर दवाई-उपचार से करते हैं । जब कुछ परिस्थिति में दवाई-उपचार से रोग का निवारण न हो अथवा मुख्यत: मस्तिष्क में या करोड़रज्जु में गांठ हो, करोड़रज्जु पर दबाव हो, रक्त नलिका में रूकावट हो अथवा गिरने से या अकस्मात से मस्तिष्क या करोड़रज्जु को कोई चोट लगी हो तो सर्जरी करने की आवश्यकता पैदा होती है । तब न्यूरोसर्जन की सेवा लेनी पडती है। इस तरह चेतातंत्र की शस्त्रक्रिया में मस्तिष्क, खोपड़ी, रीढ़ की हड्डी, करोड़रज्जु, ज्ञानतंतु तथा मस्तिष्क में रक्त पहुँचाने वाली नलिकाओं की सर्जरी समाविष्ट होती है। यह सब अंग आगे बतायें अनुसार अतिनाजुक होते है, इसलिए कुदरतने उसे बहुत सुरक्षित तरीके से रखे हैं । इस लिए उनकी शस्त्रक्रिया में भी निपुणता, सावधानी बहुत महत्वपूर्ण है। एक बार यह अंगो को ज्यादा मात्रा में नुकसान हो जाए तो सामान्यतः वह ठीक नहीं हो पाते । कुछ रोगो में सिर्फ दवाई द्वारा ही उपचार मुख्य नहीं होता, जैसे कि कुछ प्रकार के ब्रेईन ट्युमर, जिसमें ऑपरेशन करने से ही छूटकारा मिलता है। उसके विरुद्ध कुछ रोगों में मेडिकल और सर्जिकल उपचार एक साथ या तो क्रमशः करने पड़ते है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy