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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ तो रोग पूरी तरह से मीट जाने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन संपूर्णत: अच्छे होने में शायद कुछ महीने बीत जाते हैं ।
(२) सी.आई.डी.पी. : ए.आई.डी.पी. जब लम्बे समय तक बढ़ती रहे (२ महीना) अथवा लगातार हमला होता रहे तब उसे सी.आई.डी.पी. (Chronic Inflammatory Demyelinating Polyneuropathy ) कहते है।
केवल न्यूरोलोजिकल कारणसर यह रोग हुआ हो तो कई बार वह मोटर न्यूरोन डिसीज़ जैसा होता है।
कुछ बार एच.आई.वी. इन्फेक्शन, एस.एल.ई., प्लाझमा सेल डिस्क्रेझिया जैसे कारणों से भी सी.आई.डी.पी. जैसे लक्षण होते हैं।
उपचार : (१) मुख्यतः उपर्युक्त बीमारियों में से कोई रोग हो तो उसे ढूँढकर
ट्रीटमेन्ट की जाती है और विशेष में स्टिरोईड, प्लाझमा एक्सचेन्ज, एझाथायोप्रिन या मोफीलेट का उपयोग किया जाता है। ए.आई.डी.पी. ट्रीटमेन्ट की तरह क्वचित इम्यूनोग्लोब्युलिन का
भी उपयोग किया जा सकता है । (२) यह और ऐसी अनेक न्यूरोपथी में व्यायाम (फिजियोथेरपी)
अत्यंत महत्वपूर्ण उपचार है । आवश्यकतानुसार ब्रेसीस, स्प्लिंट, बूट्स और अन्य सहायक उपकरण से मरीजों की दिनचर्या और
दैनिक व्यवहार सहज और सरल बनाया जा सकता है । (३) पीड़ा में दर्दशामक दवाई आवश्यकतानुसार दी जा सकती है। (४) लम्बे समय के बाद कभीकभी छोटी-बड़ी सर्जरी करके मरीज़
के स्नायु अधिक कार्यशील किये जा सकते है, जिससे कमजोर
रह गये स्नायु में अधिक लाभ प्राप्त हो शके । (३) मल्टीफोकल मोटर न्यूरोपथी : मोटर न्यूरोन डिसीज जैसी लगनेवाली यह बीमारी में शरीर के दोनों बाजु अलग-अलग चेताओं में असमान असर होता है । यह रोग में गामाग्लोब्यूलिन और साईक्लो फोस्फामाईड से फायदा होता है, जबकि स्टिरोईड्स और प्लाझमा एक्सचेंज से नहीं। मोटर न्यूरोन डिसीज़ में कोई सारवार काम नहीं लगती ।
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