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________________ 1 - चेतातंत्र संबंधित प्रारंभिक माहिती (Information about Nervous System) 3 dura mater (बाहर), arachnoid mater (बीच में) और pia mater (अंदर) । इसके संक्रमण (इन्फेक्शन-चेप) को मेनिन्जाइटिस कहा जाता है, जैसे कि टी.बी. मेनिन्जाइटिस । मस्तिष्क के अंदर की थैलियों को ventricles कहा जाता है । दो lateral ventricles, एक third ventricle और एक fourth ventricle, इस प्रकार कुल चार थैली होती हैं । इन थैलियों में रहनेवाले पानी जैसे प्रवाही को C.S.F. (सेरीब्रो स्पाईनल फ्लुईड) कहा जाता है। वह मस्तिष्क से करोड़रज्जु के अंदर बीचोबीच एक सिरे से दूसरे सिरे तक होता है । उसके अलावा वह मस्तिष्क और करोड़रज्जु के बाहर के आवरण में भी होता है । उस वजह से मस्तिष्क में होनेवाला संक्रमण या ब्रेन हेमरेज वगैरह के बारे में करोड़रज्जु में से पानी निकालकर Lumbar Puncture द्वारा आसानी से जाना जा सकता है। इस C.S.F. का कार्य मस्तिष्क में चयापचय (metabolism) में मदद करने से लेकर मस्तिष्क में घर्षण घटाने तक का है। मस्तिष्क के कोष के अत्याधिक महत्वपूर्ण और जटिल कार्य की वजह से उसे अधिक पोषण और प्राणवायु की जरूरत पड़ती है। इसलिए उसे रक्त की तेज और अधिक आपूर्ति मिलनी चाहिए। यदि रक्त और प्राणवायु का भ्रमण कोर्टेक्स में पांच मिनट से ज्यादा समय तक रुक जाए या बंध हो जाय तो उसका कार्य हमेशा के लिये बंद हो जाता है; और मनुष्य की जीवनलीला समाप्त हो सकती है । • मस्तिष्क को तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है: (१) खोपड़ी के बड़े भाग को रोकने वाला बड़ा मस्तिष्क (cerebrum) । जिसके दो हिस्से हैं, दायाँ और बायाँ । इन दोनों के बीच संकलन करता हुआ कॉर्पस केलोझम होता है। (२) छोटा मस्तिष्क (Cerebellum) जो खोपड़ी के पिछले हिस्से में होता है, वह भी दायें और बायें दो हिस्सों में होता है। उसका मुख्य कार्य शरीर का संतुलन बनाये रखने का है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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