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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ का एक बहुत महत्त्वपूर्ण अंग है। करीबन ३० प्रकार की बीमारीयाँ करोड़रज्जु में हो सकती है, जो उसकी कार्य पद्धति और रचना, संवेदना-परिवहन कार्य, उसकी लंबाई, उसका सिलिन्डर जैसा आकार, बहुत कम चौड़ाई, उसके आवरण, उसकी रक्त वाहिनियाँ और करोड (मेरुदंड) के मणके के साथ उसका संबंध, इत्यादि के अनुसंधान में समझाया जा सकता हैं। • करोड़रज्जु संबंधित बीमारीओं के चिह्न : - - दोनों पैर कमजोर हो जाना या निष्क्रिय हो जाना ।
पूरे पैर में झुनझुनी होना या सुन्न पड़ जाना । हाथ-पैर में कमजोरी आना । मल/मूत्र का रुक जाना या उसका अनियंत्रित हो जाना । हाथ-पैर के किसी भाग में निरंतर दर्द होना । पैर में से चप्पल निकल जाए तो पता न चले अथवा पैर के नीचे गद्दी जैसा लगना, जलन होना, हाथ-पैर पर चीटियों चलने
जैसा अनुभव होना। - हाथ-पैर के स्नायु सूखना ।
करोड़रज्जु की बीमारी मुख्यत: लक्षणों-चिह्नसमूह (Syndrome) के रूप में दिखाई देती है और वह निश्चित प्रकार के होने से उसका इलाज भी अधिकतर स्पष्ट होता हैं। करोड़रज्जु की इन सब बीमारियों को मायलोपथीMyelopathy कहते हैं।
गर्दन के मणके के बीच आनेवाली करोड़रज्जु को नुकसान हो तो उसे Cervical Myelopathy (सर्वाइकल मायलोपथी) कहते हैं, जिसमें पैर उपरांत हाथ के हलनचलन की क्रिया तथा संवेदनाओं को भी असर पहुँचती
पीठ के मणके के बीच की करोड़रज्जु को नुकसान हुआ हो तो सिर्फ पैर के (एक या दोनों) हलनचलन को तथा संवेदनाओं को असर पहुँचती है, साथ में मल-मूत्र की क्रिया पर भी असर हो सकती हैं । इसे Dorsal Myelopathy (डोझल मायलोपथी) कहते हैं ।
मल-मूत्र की लिनचलन को तथा संवेदनाकसान हुआ हो
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