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12 - मस्तिष्क की संक्रमित बीमारिया (CNS Infections)
147 जब मस्तिष्क की थेलियों में (Ventricles) में पानी का रास्ता अवरुद्ध हो और उसमें ज्यादा पानी भरने लगे तो मरीज होश खोने लगता है, चलने-बोलने, समजने में तकलीफ हो सकती है, आँखो की द्रष्टि कम हो जाती है या सिर दर्द और उलटियाँ होने जैसी तकलीफ भी हो सकती है। इसे हाइड्रोसीफेलस कहते है। और उसे सि.टी. स्कैन द्वारा निश्चित किया जा सकता है । यदि ऐसा हो तो छोटी ट्यूब खोपड़ी में से होकर मस्तिष्क की थेलिमें प्रसारित की जाती है । इसके द्वारा मस्तिष्क के पानी को पेट में चमड़ी के नीचे टनेल द्वारा ट्यूब से प्रसारित किया जाता है । इसे शन्ट डाला भी कहा जाता है । यह एक सरल
ऑपरेशन है और उसके परिणाम अच्छे होते है। परंतु शन्ट अवरुद्ध हो तो तकलीफ हो सकती है।
विशेषतः टी. बी. के जंतु दवाई से कंट्रोल में न आए और बीमारी बढ़ती जाए तो उसे ड्रग रेजिस्टन्स कहा जाता है। उसमें प्रायमरी दवाई असफल रहे तो सेकन्डरी दवाई उपयोग में लाई जा सकती है । फिर भी किसी केस में मरीज की रोगप्रतिकारक शक्ति संपूर्णतः खत्म हो गई हो, जैसे कि एईड्स के संक्रमित जंतु हठीले हो तो ऐसे मरीज की ज्यादा मदद नहीं हो सकती है । ओरेक्नोडाइटिस के कुछ हठीले केसों में थेलिडोमाइड नामक दवाई अच्छे परिणाम देती है । (२) पायोजनिक मेनिन्जाइटिस :
टी. बी. के अलावा यह महत्वपूर्ण और जोखिमयुक्त ऐसा दूसरे प्रकार का मेनिन्जाइटिस संक्रमित जंतुओ से होता है, जो मस्तिष्क में मवाद बनाता है । यह मवाद मस्तिष्क की सपाटी के आवरणों में जल्दी से बनता है और फैलता है । इसलिए टी.बी. की तुलना में खूब जल्दी अर्थात् थोड़े ही दिनो या घंटो में मरीज की हालत बिगड़ती जाती है और अत्याधिक बुखार आना, असह्य सिर दुखना, उल्टी होना और गरदन के पीछे दर्द होना, प्रकाश सहन न होना-इस प्रकार के प्रारंभिक लक्षण के बाद थोड़े समय में बेहोशी आती है, मिर्गी आती है या योग्य उपचार के अभाव में मृत्यु भी हो सकती है।
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