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९८ जैनधर्म और तान्त्रिक साधना (४३) सर्वकामदा मन्त्र (१) ॐ ह्रां ह्रीँ हूँ हूँ ह्र : अ सि आ उ सा नमः । (२) ॐ ह्रीं श्रीं अहँ अ सि आ उ सा नमः । (४४) बन्दिमोचनमन्त्र
'ॐ नमो अरिहंताणं म्यूँ नमः, ॐ नमो सिद्धाणं क्म्ल्व्यूँ नमः, ॐ नमो आयरियाणं स्म्ल्व्यूँ नमः, ॐ नमो उवज्झायाणं हम्ल्यूँ नमः, ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं झल्व्यूँ नमः अमुकस्य बन्दिमोक्षं कुरु कुरु स्वाहा।'
पार्श्वनाथस्य प्रतिमां, संस्थाप्य पुरतस्ततः ।
पढें प्रसार्य संलेख्यं, मन्त्रं पञ्चशतप्रमम् ।।
नामसंपुटसंयुक्तं, बन्दिमोक्षकरं परम् ।।' पार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित करके उसके समक्ष पट्ट बिछाकर इस मन्त्र को पाँच सौ बार लिखने पर बन्दीगृह से मुक्ति हो जाती है। (४५) स्वप्नविद्या
'ॐ ह्री णमो अरिहंताणं स्वप्ने शुभाशुभं वद कू (कु) ष्माण्डिनी स्वाहा। (स्वप्नविद्या)
'मन्त्रोऽयं शतसंजप्तो, वक्ति स्वप्ने शुभाशुभम् ।
चार्कवारे श्वेतपुष्पैर्वर्णपुष्पफलाङ्कितैः ।। इस मन्त्र का रविवार को श्वेत एवं विविध वर्ण के पुष्प तथा फलों से १०० बार जप करने से स्वप्न के शुभाशुभ का फल ज्ञात हो जाता है। (४६) धर्मद्रोही उच्चाटनमन्त्र
"ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा सर्वदुष्टान् स्तम्भय स्तम्भय मोहय मोहय मु (मू) कवत् कारय कारय अन्धय अन्धय ह्रीं दुष्टान् ठः ठः ।
इदं मन्त्रं मुष्टिबद्धो, वैरिणं प्रति संजपन्।
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