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ध्यानशतक : एक परिचय : ४९
गुणों का आधार स्थल है, दृष्ट और अदृष्ट सभी सुखों का साधक है, अत्यन्त प्रशस्त है, वह सदैव ही श्रद्धेय, ज्ञातव्य एवं ध्यातव्य है। इस प्रकार प्रस्तुत ग्रंथ ध्यान की परिभाषा, ध्यान का स्वरूप, ध्यान के प्रकार, उनके प्रभेद, स्वरूप, लक्षण, आलम्बन, ध्येय विषय, लेश्या, विभिन्न ध्यानों के स्वामी या अधिकारी ध्यान के योग्य स्थान, ध्यान के योग्य समय, ध्यान के आसन/मुद्रा आदि पर प्रकाश डालता है। इसके विवेच्य विषयों में ध्यान के भेद, प्रभेद, उनके लक्षण, आलम्बन आदि की चर्चा तो स्थानांगसूत्र और तत्त्वार्थसूत्र पर आधारित है, किन्तु ध्यान के स्थान, काल, आसन आदि की चर्चा इसकी अपनी मौलिकता है, जिसका परवर्ती ग्रन्थों जैसे ज्ञानार्णव, योगशास्त्र आदि में भी अनुसरण किया गया है।
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