SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 657
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 612 Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature नामक शोधपूर्ण लेख छपा। इसके अतिरिक्त आपके अनेक शोधपूर्ण लेख अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुये हैं। सन् 1950 के दिनांक 5 अक्टूबर के एक पत्र में पू. मुनिराज विद्याविजयजी ने मुझको लिखा – “डॉ. टैसीटोरी से भी कई गुनी सेवा जर्मन विदुषी डॉ. शैलौट क्राउज़े ( सुभद्रा देवी ) ने की है और कर रही हैं। इनकी सेवा का कार्य इतना विशाल है कि जितना लिखा जाय, उतना कम है। इस समय ऐसी विदुषी की विद्वत्ता का लाभ मध्य भारत सरकार काफी ले रही है। एज्यूकेशन डिप्टी डाइरेक्टर के ओहदे पर वह हैं। पाँच सौ पच्चीस रुपये मिलते हैं। कोई हिन्दुस्तानी जो काम नहीं करता या नहीं कर सकता, वह काम डॉ. क्राउज़े कर देती हैं और यशस्विनी बनती हैं।" वि. सं. 2008 में स्वनामधन्य, जैन साहित्य महारथी श्री अगरचन्द नाहटा अपने पुत्र के विवाह के सन्दर्भ में जब ग्वालियर गये, तो वहाँ वे डॉ. शैलौट क्राउज़े को निमन्त्रण देने उनके बंगले पर गये और फाटक खटखटा कर बोले -क्या बहिन जी भीतर हैं? जब डॉ. क्राउज़े ने फाटक खोला तो देखा श्री नाहटाजी खड़े हैं। डॉ. क्राउज़े ने तत्काल कहा - भाई साहब, मुझे बहिन के नाम से शायद सम्बोधित करने वाले पहले व्यक्ति आप ही हैं। यहाँ के सभी जैन-जैनेतर, भाई-बहिन डॉक्टर साहब कर ही मुझे सम्बोधित करते हैं। इस प्रकार डॉ. क्राउज़े एक अत्यन्त विनयशील विदुषी महिला थीं। डॉ. क्राउज़े का निधन 28 जनवरी सन् 1980 को ग्वालियर में हुआ। वृद्धावस्था में कोई परिचारिका उपलब्ध न होने के कारण वे गिरजाघर चली गई थीं। वहीं उनका निधन हुआ। वहीं समाधि बनी हुई है। __ वर्तमान में राष्ट्रसन्त जैनाचार्य श्री पद्मसागरसूरि जी से डॉ. क्राउज़े के बारे में मैंने जानकारी चाही और उनसे डॉ. क्राउज़े के बारे में एक संस्मरण लिखकर देने की आग्रहपूर्वक विनती की। उन्होंने निम्न संस्मरण स्वहस्त लिखकर भेजा है, जो इस प्रकार है - श्रीमान् सुश्रावक श्री हजारीमलजी बांठिया, योग्य धर्मलाभ। डॉ. सुभद्रा देवी (डॉ. शैलौट क्राउज़े) के विषय में इतना ही मैं लिखुंगा कि बाल्य-जीवन में जब मैं 7वीं कक्षा में, शिवपुरी श्री वरतत्त्व प्रकाशन मंडल में छात्रावास में 1949-50 में अभ्यास करता था, तब उन्हें नजदीक से देखने का अवसर मुझे मिला था। जिनेश्वर देव की भक्ति-पूजा साथ में करने का मौका भी मिला है। उनकी पूजा, चैत्यवन्दन, स्तुति खूब भावपूर्ण और अनुमोदनीय थी। वे खूब भावविभोर होकर पूजा करती थीं। बालकों के प्रति उनका स्नेह भी प्रशंसनीय देखा। जब Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy