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________________ [B] जर्मन जैन श्राविका डॉ. क्राउज़े* हजारीमल बाँठिया विदेशी जैन विद्वानों में जर्मन की विदुषी डॉ. शैलौट क्राउज़े ऐसी एकमात्र सर्वप्रथम महिला विद्वान् थीं जिन्होंने भारत में आकर अपने आपको जैन-धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया। स्वयं इतिहासतत्त्वमहोदधि जैनाचार्य श्री विजयेन्द्र सूरीश्वर जी के कर-कमलों से वि. सं. 1982 की श्रावण बड़ी पंचमी के दिन नया शहर में पाँच हजार जैन-जैनेतर जनता की उपस्थिति में विधिवत भगवान् जिनेन्द्रदेव की प्रतिमा को साक्षी मानकर जैनधर्म में दीक्षित हो गई और अपना नाम भी भारतीय पद्धतिनुसार कु. सुभद्रा देवी रखकर जैन श्राविका बन गई और चौथा ब्रह्मचर्य व्रत भी धारण कर लिया। डॉ. शैलौट क्राउज़े का जन्म मारबर्ग ( जर्मनी ) के पास लेपज़िग शहर में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा वहीं हुई और आप 'नासकेतरी राजस्थानी कथा' पर शोध निबन्ध लिखकर पी-एच. डी. की उपाधि ग्रहण कर, मारबर्ग विश्वविद्यालय, मारबर्ग में प्रो. जॉन हर्टल के पास गुजराती, हिन्दी और संस्कृत में विशेष अध्ययन करने के लिये आ गईं। प्रो. हर्टेल ने अपनी बेटी की तरह अपने घर में ही रहने की इजाजत दे दी। प्रारम्भ से ही डॉ. शैलौट क्राउज़े मेधावी छात्रा थीं। जैन-धर्म के प्रति आपके मन में असीम अनुराग पैदा हुआ और शास्त्र विशारद श्री विजयधर्म सूरि जी के साथ आपने पत्राचार के माध्यम से जैन-धर्म की शिक्षा लेना प्रारम्भ कर दिया। मारबर्ग विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा समाप्त कर आप सन् 1925 में पारसी व जैन-धर्म पर अध्ययन करने के लिए सर्वप्रथम बम्बई आईं और वहाँ कुछ दिन ठहरकर आचार्य श्री विजयधर्मसूरि जी के पाटवी शिष्य इतिहासतत्त्व-महोदधि जैनाचार्य श्री विजयेन्द्र सूरीश्वर जी के पास आबू में आईं। जैन धर्म साहित्य और जैन मुनियों के आचार और व्यवहार से प्रभावित होकर आपने जैन-धर्म में दीक्षित होना भी * Published in Sramana, October-December, 1997, Parsvanātha Vidyātha, Varanasi. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
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