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________________ Nasaketari Kathā · हिवै असत्रीरा चैन कहुं छु : भरतार पैली जीमै, सो सुंषणी कहीजै छै*।' भरतार सुं धोह करै, सो कोयल होय ।' सासू सु लडै, तिका टीटोडी होय ।' नित्यरी कलहो करै, सो कागली होय ।7 भरतार सुं कांमण करै, सो मीडकी होय; पछै जनम जनम वेस्या होय ।' 8 507 ब्रामण क्रीया हीण होय, सुंच न रहै, 10 काग कुतरीरी जौन पावै । " फूल, वड, पीपल काटै, सो बोलो होय । 12 दांन देतां वरजै सो आंधो साप होय । 1 3 ध्रोही होय, सो भिल होय । 14 गर्भपाती होय, सो कसाही होय * ।'' मिनष देह पायनै, श्रीपरमेस्वरजीरी, महादेवजीरी, वासदेवजीरी, माताजीरी, तीरथरी, गुररी, मातापितारी, देवी देवतांरी सेवा न करै*, सुंच मै न रहै, सो जनम जनम नरक मै पडै ।" इतरां देवतांरी सेवा करै, तीरथ करै, व्रत करै, दांन पुन्य करै, सो मनुष मुगतगांमी होय।'17 इति श्रीसतरमोध्याय संपूर्णं । ' 6 118 रषीस्वरोवाच, ' राजा जनमैजी नै> कहयो छै*2 'नासकेत जमलोक जायनै, पाछो आयों छै । पितानै रषीस्वरांनै ओ विरतंत सूंणायो । सकोई सांभलनै राजी हूवा * । नासकेतनै रषीस्वर कहै छै* : ' आ कथा थां विगर कुंण सुणावै* ! धन थे ! उदालकजी धन्यः; जिणरै थां सरीषा पुत्र* !'' तितरै नासकेत कहै छै* : 10 आ कथा सांभलै, सो नरक जाय नही* : '' मुगतरो इधकारी होय ! 12 जम रा[a] जाजीरो हुंकम छै । 13 आ कथा पापमोचनी छै* । 14 सुणै, सांभलै सो बैकुंठ जाय !' 15 नासकेत रषीस्वरां ईसो जिम लोकरो विरतंत सुणायो ।" पाप, पुन्य, धरमी, दुष्टातमा त्यांरी वातां कही। 7 Jain Education International 18 इति श्रीनासकेतरी कथा संपूर्णं । ' लिषतं शिववर्द्धन, जैतारण मद्धे, सं 1786 रा भाद्रवा वदि 1 दिने । " Notes and References Chapter I 1. in the shape of the mutilated diagram : see note ।। 9. जनसै ॥ 14. om. at the end of the line II उदालकजी corr. from 'की ॥ उदा० ।। at the end of the line 11 For Private & Personal Use Only 15. 46. www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
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