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Nāsaketari Kathā
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कटुबरी असत्री सुं, वडा भाईरी बहुं <सुं> भोग करै, सो गधो होय*145
इति त्रयोदसमोध्याय संपूर्ण । धरमरा करता दीठा।' तिके कहूं छु* :2 घ्रतरी नंदी*, सैतरी नंदी*, दुधरी नंदी*, सेलडी रसरी नंदी*। सीतल जलरी नंदी* : ईसडी नंदी वहै छै*। अजाब कुंड छै*। पकवांन सुं भरीया छै*। मैहल सोनारा छै* आछी विछायत छै* सषरी असत्री छै* अपछरां सुं भोग विलास करै छै*।' अनेक भांति भांतिरा सुंष भोगबै छै*।
___ अठै दीजै, सो उठै सहसगुणो पाईजै छै*।' भोमदान, गजदान, घरदांन*, सोना रूपारो दांन, आपनै भावै सो दांन* : अनेक जिके दांन दीजै छै*, सो धरमराजारा हुंकम सु सहसगुणो पाईजै छै*।
अतीत अभ्यागतरी, षटदरसणरी सेवा करै, तिण सुं देवता बोहत राजी होय*। सरब देवता चैन पावै], अगनहोत्री दे*, रितदान दे*, कुलरो कल्याण वांछै*, धीरजवंत, नै सतवादी नै विमांण आवै*/14 पंच अगन साझै, तिणनै पदमण विमांण बैसांणनै, ईद्रलोक ले जावै*।' अतीतनै, गउनै, कागनै, स्वांननै, बीलीनै* ए पांच ग्रास निंत्यांन दे, तिके काम भोग विलास करै छै संरग लोकरै विषै*116 अवला अन दे, सो सरग लोग विषै विमांण पावै*117 दही दूध पावै*18 एक ग्रास रोजीनो दे, सो मनोहर सागर पावै*11" नीपनो षेत ब्राम्हणनै दे, सो स्वर्ग लोक पावै*120 उनाला मै पैजार दे, सो सीतल जल पावै*121 अतीतनै, अनाथनै दे, सो स्वर्ग लोक पावै* धरमी छै, सो रथ बैठा आवै छै*13 धरमराजाजीरा हुंकम सुं लील विलास करै छै* 124 इसा धरमी तो अनेक दीठा।25
इति चतुर्दसमोध्याय संपूर्ण।२० . नासकेतोवाच*:1
'एक नंदी, जिणरो नाम पुसपोद छै*। तिणरो फूलां सरसो जल छै*। सोनारी वेलु छै। विध विधरा दरषत छै*।' तिके सदा फल फूलां सुं लूब रह्या छै*। तठै धरमराजाजीरी नगरी छै*।' तठै रुपवंती असत्री छै* नांना भंतरा आभूषण छ।' धर्मजुगत छै*, पुन्यवंत जीव रहै छै*, श्रीपरमेसरजोरी भक्त करै, जिके उठै रहै छै*।'10
रषेस्वरोवाच*' [5b] संसार तिरणरो मारग वतावो* !'12
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