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________________ Śri Phalavardhi Pārsvanātha Stuti 297 कितुं तुं अनंत अनतं अनंत, मलई मई भेट्यउ श्रीभगवंत । सदा एक तोरउ साचउ साथ, जयउ परमेसर पारसनाथ ।। १५ ।। अलष, अलष, अलष, अलष, सदा तुं सेवकनइं परतष । अधिक अधिक दीयइ आणंद, जयउ श्रीफलवर्द्धिपास जिणंद ।। १६ ।। अपार, अपार, अपार, अपार, अनाथ नरांनइ तुं आधार । अगम, अगम, अगम, अगम, धरूं एक साचउ तुझ धरम ।। १७ ।। बहु जिण अटवि माहे बीह, सदा जिहां विचरइ सबला सीह । तिहां तुं सेवक नइ निसतारि, कृपा करि मेलई पेल्हइ पारि ।। १८ ।। जिहां जिहां समरइ सेवक जेह, तिहां तिहां इच्छा पूरइ तेह । कहूं इम केता तुझ बिरद, मोटउ तूं पारसनाथ मरद ।। १९ ।। इला तुं एकल्ल मल्ल अबीह, न लोपइ कोइ तोरी लीह । माया हिव मासुं करि माहाराज, परतीष इच्छा पूरो आज ।। २० ।। ॥ ऊलालो ॥ इच्छा पूरउ आज सुपरसन, सेवकां संभारो, जिणवर पास जिणंद, सदा हूं सेवक ताहरो । कल्पवृक्ष थी अधिक, कृपा मो उपरि कीजइ, श्री आससेन सुतनय, घणी मुझ दउलति दीजइ । श्री रतनहरष गुरु शिसंवर, सार सुजस इस उचरइ, फलवर्द्धि राय मोटो धणी, सेवकनई सानिध करइ ।। २१ ।। १६. ''मां त्र पर '' अलष. १७. ' 'भां अपार भने अगम मात्र 3 वा२. '५' तारो धरम. १८. '५' अबीह; 'ॐ' करपा; पेले पार. १९. '' बहुं इम, मोटउपन पासनाथ. २०. '' मह्य. २१. '' सुपरि सेवकां साधारउ; '५' सूधारो; '५' थारो; 'A' सुतन; '५' सूतन; __' सूसेवकने. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
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