SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ छे. तखतगढमां अग्रणी गणाता आ कुटुम्बना शेठ पनालालजी तथा तेमना त्रणे भाईओए पोताने मळेली लक्ष्मीनो सद्व्ययः कों, अनेक धार्मिक कार्यों करवा उपरांत सवाथी दोढ लाखना मोटा खरचे तखतगढमां आलेशान देरासर वन्धाव्यु. देरासरजीर्नु खात मुहूर्त संवत् १९७३ ना महा सुद-१३ ना रोज कयु हतुं. संवत् १९८०ना वैशाख सुदी-११ना रोज प्रतिष्ठान शुभ मुहूर्त आव्यु. आ महान प्रसंगे आसरे वीसथी पच्चीस हजार मनुष्यो एकठा थया हता. अठ्ठाइ महोत्सव, वरघोडा तथा साधर्मिक वात्सल्य विगेरे सारी रीते थया हता. संवत १९८०ना वैसाख सुद-१२ना रोज चार शुभ योगो मळतां पंन्यासजी श्री कल्याण विजयजी महाराज त्था मुनिराज श्री सौभाग्य विजयजी महाराजना हस्ते शुभ मुहूर्ते घणाज ठाठमाठथी प्रतिष्टा थई हती. प्रतिष्टाना शुभ प्रसंगे शेठ पन्नालालजी तथा तेमना बन्दुओए उल्लासपूर्वक आसरे त्रीस हजार रुपियानो सद्व्यय को हतो. तेमणे देरासरजीमा भावपूर्वक मूलनायक श्री. रुषभदेव भगवान अने बन्ने बाजुए श्री पार्श्वनाथ स्वामी त्था श्री शांतिनाथ प्रभुना भव्य प्रतिमाजी पधराव्या. मुख्य देरासरजीनी बन्ने बाजुए करावेली बे देरीओमां बाल ब्रह्मचारी श्री नेमिनाथ स्वामी तथा वर्तमान शासनपति श्री महावीर स्वामीनी मनोहर प्रतिमाजीनी प्रतिष्टा करावी. देरासरजीना कंपाउन्डमां एक भागमां घटादार सुन्दर रायण वृक्ष नीचे श्री दादाजीनी पादुका स्थापन करावी, जेन. दर्शन करतां खरेखर तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय उपरनी नीलुडी रायण अने तेनी नीचे बीराजती श्री दादाजीनी पादुकान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001774
Book TitleParvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandrasuri Acharya
PublisherChinubhai Trikamlal Saraf
Publication Year1962
Total Pages70
LanguageGujarati, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Gujarati, Tithi, & Religion
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy