________________
१०
दिगंबरोने एकांत आग्रहथी नुकशान
वस्त्रपात्र वगेरे उपधिनो निषेध करी नग्नतानो आग्रह राखवाथी दिगंबरोने घणु नुकशान थयुं छे. तेमांन थोडंक नीचे प्रमाणे छे.
(१) नग्नताथी धर्मनी अने संप्रदायनी निन्दा थाय छे अने धर्म प्रचार अटकी जाय छे
(२) विहारमा अडचणो उभी थाय छे. (३) बाळको नग्न साधुने जोई डरे छे.
(४) सभ्य समाज घृणा करे छे अने पोताना घरमां आववा देता नथी.
(५) सरकार नग्नने रस्तामां चालवानी बन्धी करे छे.
(६) जिनशासनने अनेक रीते नुकसान पहोंचे छे. फक्त बे चार हाथनां कपडानो पण निषेध करवाथी ए नुकसान उठाव, पडे छे. वस्त्रधारी मुनि बघे जई शके छे. अने आवा नुकसानोथी धर्मने बचावे छे.
(७) अजैननां आहार पाणी बंध थई जाय छे. कारण अजैनो नग्न साधुने घरमा आववा देता नथी तेमज आहार पाणी देवामां घृणा करे छे तेथी अजैनने त्यां गोचरीए जई शकातुनथी.
(८) एकज घेरथी गोचरी करवी पडे छे तेथी आधाकर्मिक औदेशिक आदि दोष लागे छे.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org