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________________ १९ पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तरविचार प्रश्न-१३ चंडाशु चंडु पंचांगमां भादरवा सुदि पांचम बे होय तो सांवत्सरिक पर्व कई तिथिए करवू ? उत्तर-राजशेखरसूरीश्वरजी महाराजे - वि. सं. १४०५मां चतुर्विशति प्रबंध रचेलो छे, तेमां शालिवाहन राजाना प्रबंधमा स्पष्ट जणाव्यु छ के कालिकाचार्यपाश्वे पर्युषणामेकेनाहा अग् िआनायतत् स सातवाहनस्ततोऽन्यः ॥ चतुर्विशतिप्रबंध पत्र ७०. अर्थ-शालिवाहन राजाए कालिकाचार्यनी पासे एक दिवस पहेला पर्युषण पर्व अणाव्यु एटले कराब्यु. आ पाठ उपरथी पंचमीथी एक दिवस पहेला पर्युषण पर्व करवान सिद्ध थाय छ, पंचमीनी वृद्धिमा जो पंचांगनी औदायिक चोथना दिवसे सांवत्सरिक पर्व करवामां आवे तो विना कारणे आराध्य पंचमीथी बे दिवस पहेला संबच्छरी पर्व थाय. तेम करवाथी सूत्राज्ञा अने कालिकसूरिनी परंपरानो स्पष्ट भंग थाय छ, प्रश्न १४-श्राद्धविधिकारना कथन प्रमाणे सूर्योदय वखते जे तिथि होय तेज प्रमाणभूत गणाय, तो पछी पर्वतिथिना क्षयमां औदायिक तिथि केवी रीते लेवी ? उत्तर-पंचांगमा पर्वतिथिनो क्षय होय पण आराधनामां पर्वतिथिनो क्षय मनातो नथी तेमज श्राद्धविधिमां अनौदयिक तिथि मानवानो पण निषेध करेल छे. जुओ श्राद्धविधि, पत्रांक १५२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001774
Book TitleParvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandrasuri Acharya
PublisherChinubhai Trikamlal Saraf
Publication Year1962
Total Pages70
LanguageGujarati, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Gujarati, Tithi, & Religion
File Size3 MB
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