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जीवन रेखा में अन्दर की ओर चतुष्कोण मुकद्दमे बाजी का लक्षण है। जीवन रेखा मे जितने ही चतुष्कोण भीतर की ओर होते हैं व्यक्ति को उतने ही मुकदमे लड़ने पड़ते हैं। बाहर की ओर चतुष्कोण होने पर उस आयु में रोग, दुर्घटनाओं आदि में रक्षा होती है। जीवन रेखा के अन्त में चतुष्कोण हो तो अन्तिम आयु में स्वास्थ्य ठीक रहता है। मंगल रेखा में दोष होने पर यदि चतुष्कोण हो तो जीवन साथी के स्वास्थ्य या उसकी मृत्युभय से रक्षा का चिन्ह है। अंगूठे के मंगल पर यह चिन्ह होने पर पेट विकार व चिड़चिड़े स्वभाव से रक्षा करता है। ऐसे व्यक्ति मेल-जोल से रहते हैं और इन्हें सम्पत्ति के झगड़ों में विजय प्राप्त होती है।
बुध के नीचे वाले मंगल पर यह चिन्ह सरकार या किसी अन्य के द्वारा हड़प की गई सम्पत्ति वापस मिल जाती है।
___ मस्तिष्क रेखा में दोष होने पर यदि चतुष्कोण से आच्छादित हो तो उस समय परेशानी तो आती है, परन्तु रक्षा हो जाती है। इस प्रकार का संकट स्वास्थ्य, धन या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। दोष न होने पर यदि मस्तिष्क रेखा में चतुष्कोण हो तो उस समय नये कार्य से लाभ होता है या धन की बरबादी से रक्षा होती है। इस आयु में परिवार का कोई सदस्य अस्वस्थ रहता है, परन्तु विशेष दोष जैसे मृत्यु नहीं होती है। मस्तिष्क रेखा के अन्त में चतुष्कोण होने पर मस्तिष्क में अन्त तक वकार नहीं आता ।
भाग्य रेखा का चतुष्कोण व्यक्ति को धन लाभ कराता है या इस प्रकार की हानि से रक्षा करता है। जिस आयु में चतुष्कोण भाग्य रेखा के दोनों ओर हो तो सम्पत्ति जीवन में महत्व रखती है और चतुष्कोण के आकार की ही होती है। हृदय रेखा पर चतुष्कोण, मानसिक ठेस, हृदय रोग आदि से रक्षा करता है। यही चतुष्कोण यदि शनि के नीचे हो तो ऐसे व्यक्ति को दांत के रोग होते हैं और बिजली या आग से रक्षा होती है। शनि क्षेत्र में चतुष्कोण धन में वृद्धि व संचय का लक्षण है। मंगल क्षेत्र में होने पर झगड़ों से रक्षा व निश्चितता का लक्षण है।
त्रिकोण
त्रिकोण-अर्थ की दृष्टि से स्पष्ट है कि तीन रेखाओं से घिरी हुई आकृति को त्रिकोण कहते हैं। यह उत्तम लक्षण माना जाता है। रेखाएं दोषपूर्ण होने की दशा में त्रिकोण दोषों से रक्षा करता है एवं निर्दोष होने पर अत्यन्त लाभ का कारण होता है। यह जितना ही सुन्दर, छोटा एवं स्वतन्त्र होता है, उतना ही उत्तम माना जाता है।
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