________________
छोड़ कर जाते हैं।
बुध की उंगली सूर्य की उंगली के तीसरे पोर से लम्बी होने पर परिवार व समाज के लिए और अधिक विशेषता उत्पन्न करती है। बुध की उंगली छोटी, टेढ़ी और पतली हो तो व्यक्ति सामान्य से अधिक चालाक होता है।
कोमल या लचीली उंगलियां
जो उंगलियां स्वाभाविक रूप से खुलने पर पीछे की ओर मुड़ जाती हैं तथा नरम होती हैं, उन्हें लचीली उंगलियां कहा जाता है। उंगलियां लचीली होने पर व्यक्ति बुद्धिमान व सहनशील होता है। लचीली उंगलियां मोटी हों तो मोटेपन के कारण दुर्गुणों में कमी हो जाती है। ऐसे व्यक्ति सभी से प्रेम करते हैं, परन्तु यदि किसी के प्रति इनका सद्भाव न रहे तो यह जीवन भर उसकी शक्ल देखना भी पसन्द नहीं करते, सम्बन्ध पूर्णतया समाप्त कर लेते हैं। वैसे ये दयालु स्वभाव के व उदार होते हैं। इस दशा में यदि मस्तिष्क रेखा में दोष हो या जीवन रेखा का झुकाव चन्द्रमा की ओर हो या जीवन रेखा की कोई शाखा चन्द्रमा पर जाती हो तो इनके परिवार में से कोई न कोई व्यक्ति घर छोड़ कर भागता है या कुछ समय के लिए बिना सूचना दिए कहीं चला जाता है। जीवन रेखा के अन्त में बड़ा द्वीप होने पर भी ऐसा फल कहा जा सकता है। उंगलियां पतली व लचीली होने पर घर छोड़कर जाने वाले शीध्र ही लौट आते हैं।
कठोर या न झुकने वाली उंगलियां
इस प्रकार की उंगलियां व्यक्ति के चरित्र में विचारों की स्थिरता, स्पष्टवादिता, क्रोध व लगन का समावेश करती हैं। हाथ अच्छा होने पर व्यक्ति में गुण और दोषपूर्ण होने पर व्यक्ति में क्रोध, विचारों में विशेष दृढ़ता अर्थात् जिद्द की सूचना देता है।
अंगूठा भी यदि झुकने वाला न हो तो ये मन में जो भी निश्चय कर लेते हैं, उसे किसी भी मूल्य पर पूरा करके ही छोड़ते हैं। ये विचारों, व अनुशासन के सख्त होते हैं तथा कोई गलती होने पर माफ नहीं करते। घर में इनका एक छत्र साम्राज्य होता है। किसी में भी इनके सामने बोलने की हिम्मत नहीं होती और न ही यह अपने कार्य में किसी को हस्तक्षेप पसन्द करते हैं। हाथ में बुद्धिमत्ता के लक्षण होने पर ये बुद्धिमान व सफल होते हैं तथा मूर्खता व निम्न कोटि के चिन्ह होने पर असफल, क्रोधी, झगड़ालू या इस प्रकार के पाये जाते हैं। अंगूठा यदि खुलता भी कम हो और उंगलियां भी सख्त हों तो ये काम में अड़ने वाले होते हैं। अंगूठा अधिक खुलने पर या लचीला होने पर इस प्रकार के गुणों में कमी हो जाती है अर्थात् थोड़ी बहुत सहनशीलता आदि गुण भी व्यक्ति में आ जाते हैं।
56
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org