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________________ नहीं मिलती, जितनी कि हाथ के अन्य लक्षणों के अनुसार मिलनी चाहिए । अतः उपरोक्त दृष्टिकोण को लेकर ही फल का निर्णय करना चाहिए। वस्तुतः ऐसे व्यक्ति हतोत्साही, आलसी व वासना प्रिय होते हैं। लाल हाथ हाथ देखने में स्पष्टतया लाल होते हैं। नाखूनों का रंग देखकर इसका स्पष्ट निर्णय हो जाता है। हाथ का रंग लाल होने पर व्यक्ति के स्वभाव में उग्रता होती है और क्रोध अधिक आता है तथा देर तक रहता है। ऐसे व्यक्तियों के शरीर में पित्त की प्रधानता होती है, अतः ऐसे व्यक्तियों को शराब आदि की लत नहीं डालनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति कोई भी आदत पड़ने पर आसानी से छोड़ नहीं सकते। लम्बा हाथ होने पर यदि लचीला भी हो तो खर्च की अधिक आदत होती है, परन्तु हमेशा ही अधिक खर्च के कारण मानसिक संघर्ष चलता रहता है। जीवन रेखा में दोष या भाग्य रेखा के पास होने पर, न चाहते हुए भी अधिक खर्च करना पड़ता है। जीवन में कुछ अवसर ऐसे भी आते हैं जबकि इनका एकत्रित किया हुआ सारा धन खर्च हो जाता है। ऐसे व्यक्ति इस विषय में सतर्क होते हैं, परन्तु मजबूरी में ऐसा होता है। ऐसे व्यक्तियों की पत्नी व सन्तान का स्वभाव भी तेज होता है। अन्य बातें हाथ के अन्य लक्षणों के अनुसार ही पायी जाती हैं। ऐसे व्यक्तियों का विरोध अधिक होता है। जहां तक सम्भव हो इन्हें क्रोध से बचना चाहिए। रेखाएं अच्छी या निर्दोष होने पर इस प्रकार के मुकद्दमें आदि में जीत होती है। इन हाथों में पित्त के रोग, जैसे अल्सर, शरीर में जलन, आंखों के रोग देखने में आते हैं। ऐसे व्यक्तियों को कोई न कोई लत अवश्य होती है। नीला हाथ कभी-कभी हाथ के रंग में हल्का नीलापन देखने में आता है। इस प्रकार के व्यक्तियों का जिगर खराब होता है या अत्यधिक शराब पीने से भी हाथ के रंग में नीलापन होता है। ऐसे व्यक्ति यदि इस प्रकार की आदत नहीं छोड़ते तो मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। अतः इस प्रकार की आदतों से इन्हें सावधान रहना चाहिए। तम्बाकू आदि अधिक खाने से भी हाथ में नीलापन उभर आता है। गहरा लाल या काला हाथ ऐसे व्यक्तियों मे क्रोध व उग्रता अधिक होती है और इन्हें कोई न कोई आदत, जैसे शराब पीना आदि अवश्य पायी जाती है। ऐसे व्यक्ति जीवन में निराश रहते हैं। धन कमाने की ओर इनका ध्यान अधिक होता है, अतः इस कार्य में गलत साधनों 38 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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