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________________ वक्ता होता है और इन्हें चुनौती देने की आदत होती है। निर्दोष मंगल रेखा व्यक्ति में शूरवीरता, निर्भयता आदि गुणों का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति जहां भी रहते हैं कोई न कोई झगड़ा साथ लगाए रखते हैं, क्योंकि इनमें सहनशक्ति नहीं होती। ऐसी स्त्रियां खाये बिना रह सकती हैं, मगर जवाब दिए बिना नहीं रह सकतीं। मंगल रेखा जीवन रेखा के पास होने पर विवाह शीघ्र होता है और ऐसे व्यक्ति अपनी पत्नी से सदैव सन्तुष्ट रहते हैं। यदि मंगल से कोई रेखा बहस्पति या शनि पर जाए तो भी विवाह शीघ्र ही होता है। ___ मंगल रेखा में दोष होने की दशा में हृदय रेखा की शाखा मस्तिष्क पर मिली हो या भाग्य रेखा में द्वीप हो तो जीवन साथी की मृत्यु हो जाती है। तथा एक से अधिक विवाह करने पर भी जीवन साथी का सुख नहीं मिलता। ऐसे व्यक्तियों को कभी-कभी दस-दस विवाह करने पड़ते हैं। मंगल रेखा में द्वीप हो या टेढ़ी हो या इसमें सितारा हो तो जीवन साथी की मृत्यु दुर्घटना, भयंकर रोग या आत्महत्या के द्वारा होती है। मंगल रेखा में द्वीप या दोषपूर्ण होने पर अन्य सभी रेखाओं में दोष हो तो जीवन का अन्त लम्बी बीमारी के पश्चात् होता है और जीवन भर कुछ न कुछ शरीरिक कष्ट लगा ही रहता है। ___ कोई गहरी रेखा मंगल से जीवन रेखा के आरम्भ से मिलती हो तो कोई दांत वाला जानवर जैसे कुत्ता, बन्दर आदि काटता है (चित्र-178)। इस दशा में बृहस्पति मुद्रिका कटी- फटी हो तो जहरीला इंजेक्शन लगता है। यही लक्षण सांप काटने या किसी जहरीले जानवर के काटने से भय का है। मंगल रेखा या स्वास्थ्य रेखा में शनि के नीचे द्वीप हो तो व्यक्ति का जिगर खराब होता है और पेट में रसौली के कारण ऑपरेशन होता है। दोषपूर्ण मंगल रेखा व्यक्ति के जीवन में कई अभावों की रचना करती है। इनके किसी सम्बन्धी को लगातार आर्थिक अभाव रहता है। अनेक प्रयत्न करने पर भी वह धन की दृष्टि से कमजोर ही बना रहता है। हाथ पतला होने पर यह मंगल रेखा, जीवन रेखा के आरम्भ से निकले तो व्यक्ति अधिक कामुक होता है। मंगल रेखा दोषपूर्ण होने पर किसी अत्मीयजन की मृत्यु होती है। ___मंगल रेखा जीवन रेखा से जुड़ी हो तो ऐसे व्यकित किसी से लाभ नहीं उठा सकते। कोई स्त्री या पुरुष इनके जीवन में आता भी हो तो अपने अभिमानी स्वभाव के कारण उससे लाभ नहीं होता। जीवन रेखा के पास से मंगल रेखा निकलने पर व्यक्ति दूसरों से लाभ उठाते हैं। एक हाथ में ऐसा लक्षण होने पर किसी चित्र-178 249 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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