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________________ पुरुषों के विषय में भी यही कहा जा सकता है। ऐसे व्यक्ति जीवन साथी का ध्यान रखते हुए यौन-क्रियारत होते हैं और उसकी सन्तुष्टि के विषय में समर्थन चाहते हैं। भाषण देने के बाद पूछते हैं कि भाषण सुन्दर था या नहीं? उसके बच्चे कितने सुन्दर हैं ? उनमें गलती है, सुधार हो सकता है? कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसे व्यक्ति की छोटे-छोटे कार्यों में भी यही प्रवृत्ति रहती हैं। ऐसी बातें केवल इसलिए पूछते हैं कि इनमें मनुष्यता अधिक होती है और ये नहीं चाहते कि इनसे ऐसे कार्य हों जो दूसरों को अच्छे न लगे। इनकी बात सुनने के बाद समर्थन इन्हें अच्छा और सुनकर बात काटने या चुप रहने की दशा में बुरा महसूस करते हैं। भावुक होने के कारण ये कभी-कभी शीघ्रपतन अनुभव करते हैं। इस दशा में जब इनकी पत्नी शिकायत करती है तो इन्हें बुरा लगता है। हृदय रेखा का अंत सीधा बृहस्पति पर ___ यह रेखा सीधी बृहस्पति पर पहुंचती है। निर्दोष हृदय रेखा बृहस्पति पर गई हो तो व्यक्ति जीवन में उन्नति करते हैं, उत्तरोत्तर आगे बढ़ते हैं और स्त्री, सन्तान व धन का सुख प्राप्त करते हैं। आर्थिक स्थिति का अनुमान हाथ में उपस्थित अन्य लक्षणों को देखकर लगाना चाहिए (चित्र-138)। ___ दोषयुक्त हृदय रेखा बृहस्पति पर जाती हो तो ऐसे पुरुष अपनी पत्नी में इतने गुण देखना चाहते हैं, जितने आकाश में तारे और इतने गुण होने सम्भव नहीं होते, फलस्वरूप इनका गृहस्थ जीवन निराशापूर्ण रहता है। छोटी-छोटी बातों पर नुक्ता-चीनी, टोकना, बात काटना इनके लिए साधारण-सी बात है। इनके विचार के व्यक्ति बहुत कम मिलते हैं परन्तु हृदय रेखा समानान्तर होने पर ऐसे व्यक्तियों को अपने जैसी आदतों का कोई न कोई मिल ही जाता है जिससे इनकी 7 मित्रता रहती है और इनकी आदतों को समर्थन मिलता चित्र-138 रहता है। दोषपूर्ण हृदय रेखा सीधी बृहस्पति पर जाती हो तो ऐसे व्यक्तियों की अपनी पसन्द होती है विशेषतया विवाह के विषय में इनकी पसन्द निराली होती है। इनका जीवन साथी शत प्रतिशत इनकी अपनी पसन्द का होना चाहिए। ये चाहते हैं कि इनकी जीवन संगनी एक पुतले के समान साथी के रूप में मिले जो इनकी जायज और नाजायज 207 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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